“मां कभी हार नहीं मानती” — बेटे की मौत को नकारती रही मां, अस्पताल में देती रही सीपीआर, वीडियो वायरल

न्यूज स्कैन ब्यूरो, भोजपुर (आरा)
एक मां की ममता क्या होती है — यह सवाल जब भी उठेगा, भोजपुर जिले के आरा की एक मां की यह तस्वीर हमेशा सामने आएगी। यह कोई फिल्मी कहानी नहीं है, बल्कि हकीकत है, जिसने हर किसी को झकझोर कर रख दिया है।

आरा सदर अस्पताल में एक असामान्य दृश्य देखने को मिला। एक मां अपने मृत बेटे के शरीर को सीने से लगाए बार-बार उसे सीपीआर देती रही, कभी मुंह से सांस देने की कोशिश करती रही, तो कभी उसका सीना दबाकर दिल की धड़कनें वापस लाने की जद्दोजहद करती रही। यह दृश्य इतना मार्मिक था कि अस्पताल में मौजूद डॉक्टरों, मरीजों, तीमारदारों तक की आंखें नम हो गईं।

क्या है पूरा मामला?

घटना भोजपुर जिले के नवादा थाना क्षेत्र के गोढ़ना रोड की है। यहां रहने वाले मोहित राज, उम्र लगभग 16 साल, ने सोमवार को कथित तौर पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। परिजन जब तक कुछ समझ पाते, देर हो चुकी थी। मोहित को तुरंत आरा सदर अस्पताल लाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

जैसे ही यह सूचना मोहित की मां सुमन देवी को मिली, जो कि आरा डीएम ऑफिस में होमगार्ड के पद पर कार्यरत हैं, वह अपनी ड्यूटी की वर्दी में ही दौड़ती हुई अस्पताल पहुंचीं।

मां ने मौत को नहीं माना

बेटे के मृत शरीर को देखकर जहां कोई और मां बदहवासी में रोने लगती, सुमन देवी ने बेटे की मौत को मानने से ही इनकार कर दिया। डॉक्टरों के लाख कहने के बावजूद उन्होंने खुद बेटे को जिंदा करने की कोशिश शुरू कर दी।

वह अपने बेटे के मुंह से मुंह लगाकर ऑक्सीजन देती रहीं। बार-बार सीपीआर (CPR) देकर उसके दिल की धड़कनें वापस लाने का प्रयास करती रहीं।अस्पताल के बेड पर पड़ी बेटे की लाश से वो एक घंटे तक संघर्ष करती रहीं। पर अंत में जब कोई हरकत नहीं हुई, तो वह खुद अचेत होकर बेटे के शव से लिपट गईं।

वीडियो वायरल, लोग हुए भावुक

इस घटना का वीडियो अस्पताल में मौजूद किसी ने बना लिया, जो थोड़ी ही देर में आरा और भोजपुर के सोशल मीडिया ग्रुप्स में वायरल हो गया। वीडियो में मां की करुण पुकार और बेटे को बचाने की कोशिशें हर किसी को रुला गईं।

लोग इस वीडियो पर भावुक प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं, “मां कभी हार नहीं मानती…””ये सिर्फ ममता नहीं, ये सच्ची वीरता थी…” “जो मां अपने बेटे के लिए सांसें देने को तैयार हो, वह किसी भगवान से कम नहीं…”

क्या कहते हैं जानकार?

मनोचिकित्सकों के अनुसार, यह घटना “अस्वीकृति का प्राकृतिक चरण” है, जहां मां अपने पुत्र की मृत्यु को स्वीकार नहीं कर पा रही थी। लेकिन साथ ही यह ममता का वह स्वरूप भी है, जो दुनिया की हर ताकत को चुनौती देने की ताकत रखता है।