न्यूज़ स्कैन रिपाेर्टर, पटना
बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले एनडीए के भीतर सीटों के बंटवारे को लेकर चली लंबी सियासी रस्साकशी अब लगभग समाप्ति की ओर है। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान, जो अब तक 40 सीटों की माँग पर अड़े थे, अब 23 से 26 सीटों पर समझौते को तैयार हो गए हैं। सूत्रों के अनुसार, एनडीए के घटक दलों के बीच यह सहमति लगभग तय मानी जा रही है।
बिहार की सियासत में इस समय सबसे बड़ी गरमी सीटों के दावे को लेकर है। हर दल अपने हिस्से की कुर्सी नाप-तौल कर देख रहा है। इस बीच एनडीए में चिराग पासवान की चिंगारी ने पूरे माहौल को और गरमा दिया है।
जानकारी के मुताबिक, चिराग पासवान ने शुरुआती दौर में 40 सीटों की माँग रखी थी, जबकि बीजेपी उन्हें 20 सीटों पर मान जाने की सलाह दे रही थी। चिराग का तर्क था — “हमें सीट भी चाहिए और जीत की गारंटी भी।” यानी वे ऐसी सीटों की माँग कर रहे थे जहाँ जीत की संभावना अधिक हो।
सूत्रों का कहना है कि नए प्रस्ताव में चिराग ने यह भी मांग रखी है कि जहाँ-जहाँ उनके सांसद हैं, वहाँ विधानसभा की दो-दो सीटें उन्हें दी जाएं। इसका अर्थ यह हुआ कि लोजपा (रामविलास) अब सिर्फ जमुई और खगड़िया तक सीमित नहीं रहना चाहती, बल्कि वैशाली, दरभंगा और मुजफ्फरपुर जैसी सीटों पर भी अपनी दावेदारी ठोक रही है।
चिराग पासवान का दावा है कि उनकी पार्टी ने अब पूरे बिहार में संगठन खड़ा कर लिया है। उनका कहना है कि लोजपा (आर) अब सिर्फ़ जमुई या खगड़िया तक सीमित नहीं, बल्कि वैशाली, दरभंगा और मुजफ्फरपुर जैसी सीटों पर भी मजबूत स्थिति में है।
एनडीए के भीतर भले ही सीट शेयरिंग पर सहमति बनने की ख़बर आ रही हो, लेकिन अंदरखाने सियासी सौदेबाज़ी अब भी जारी है। 23 से 26 सीटों का यह समझौता अगर औपचारिक रूप से हो जाता है, तो इसे बिहार एनडीए के भीतर संतुलन साधने की बड़ी कोशिश माना जाएगा। हालांकि, यह तय है कि चिराग पासवान अब एनडीए के भीतर “छोटे साझेदार” नहीं, बल्कि “निर्णायक खिलाड़ी” की भूमिका में हैं।