मुंगेर से सबौर तक बनेगा मरीन ड्राइव; दो टोल प्लाजा से गुजरेंगे वाहन, 16 गंगा घाट विकसित होंगे, रास्ते में आराम करने के लिए विश्राम स्थल की भी सुविधा मिलेगी

  • बड़ा सवाल : सिर्फ 3.16 किमी लंबा पुल 11 साल बाद भी नहीं बन पाया, मुंगेर से सबौर तक 82 किमी लम्बा मरीन ड्राइव कब तक बनेगा?

न्यूज़ स्कैन टीम। भागलपुर

पूर्व बिहार के लोगों के लिए एक अच्छी खबर है। मुंगेर से सबौर तक 82.80 किलोमीटर लम्बा मरीन ड्राइव के निर्माण के लिए केबिनेट की मंजूरी मिल गयी है। अगर सबकुछ ठीक-ठाक रहा तो दो माह के अंदर इसका शिलान्यास हो जायेगा और फिर निर्माण की दिशा में पहल तेज हो जाएगी। इसके बनने में पांच साल या उससे अधिक लग सकते हैं। हालाँकि अभी निर्माण के शुरू होने और पूरा होने की समय सीमा तय नहीं हो सकेगी। इसके बनने और चालू होने से राजधानी पटना जाने में औसतन एक घंटा बचेगा। वाहन चालकों को दो टोल प्लाजा से गुजरना होगा।

जानकारी के मुताबिक, 9969.63 करोड़ रुपये की लगत से इसका निर्माण होगा। इसके लिए राशि की स्वीकृति भी हो गयी है। इसका निर्माण दो पैकेज में होगा। पहले पैकेज में मुंगेर के सफियाबाद- बरियारपुर-घोरघट -सुल्तानगंज तक है। इसकी लम्बाई 42 किमी है। इसके निर्माण पर 5119 करोड़ रूपये खर्च होंगे। जबकि दूसरे पैकेज में सुल्तानगंज -भागलपुर -सबौर तक 40.80 किमी का है। इसे बनाने में 4849.83 करोड़ खर्च होंगे। कैबिनेट से मंजूरी मिलने के साथ इसके शिलान्यास की तैयारी भी शुरू कर दी गयी है। सम्भावना जताई जा रही है की विधानसभा चुनाव के पहले ही इसका शिलान्यास कर दिए जायेगा। यहीं से अब सवाल खड़ा हो रहा है कि कहीं यह महज चुनावी घोषणा बनकर तो नहीं रह जायेगा। लोग इस तरह का सवाल अभी से ही उठाने लगे हैं। सवाल इसलिए भी लाजमी है , क्योंकि सरकार को जब एक पुल बनाने में 11 साल लग जाते हैं और फिर भी निर्माण अधूरा रहता है तो ऐसे में इसका निर्माण कब शुरू हो सकेगा और कब तक पूरा हो पायेगा?

हाइब्रिड एन्यूटी मॉडल पर होगा निर्माण

पथ निर्माण विभाग के मंत्री नितिन नवीन बताते हैं कि इसका निर्माण हेम मोड़ में होगा। यानी हाइब्रिड एन्यूटी मॉडल। इसके निर्माण में 60 फीसदी एजेंसी तो 40 फीसदी राज्य सरकार खर्च करेगी। पहले पैकेज में 29 .25 किमी पेट ग्रेड यानी सड़क की ढलान और 12.72 किमी एलिवेटेड होगा। इसमें 14 छोटा वीयुपी, 13 बड़ा वीयुपी, 2 टोल प्लाजा। 16 घाटों का विकास और 5000 वर्ग मीटर में विश्राम स्थल का प्रस्ताव है। इसी तरह से दूसरे पैकेज में 26 किमी में एट ग्रेड और 14 .76 किमी में एलिवेटेड रोड का निर्माण होगा। इधर , इस प्रोजेक्ट को लेकर भागलपुर नगर निगम के पार्षदों ने मेयर डॉ बसुंधरा लाल को बधाई दी। पार्षदों ने कहा की मेयर के अथक प्रयास से ही इस परियोजना को स्वीकृति मिली है।

निर्माण की राह में आएगी बाधा

मुंगेर से सबौर के बीच गंगा किनारे मरीन ड्राइव के निर्माण में कई बाधाओं को पार करना होगा। करीब 80 किलोमीटर इस गंगा पथ वे के लिए जमीन का अधिग्रहण करना होगा। हालत यह है की मुंगेर से सबौर के बीच गंगा किनारे हजारों मकान बाये हुए हैं। कई ने तो गंगा की जमीन पर कब्ज़ा कर भवन का निर्माण कर लिया है। ऐसे में उस जमीन से अतिक्रमण हटाने में प्रशासन को चुनौती का सामना करना पड़ेगा। इसके साथ ही निर्माण को तय समय में पूरा करना होगा। अगर ऐसा नहीं हुआ तो समय बढ़ने से निर्माण पर लगत भी बढ़ेगी। निर्माण में किस किस तरह की बाधा आ सकती है इसके लिए शासन प्रशासन को सुल्तानगंज -अगुवानी फोरलेन पुल से सबक लेनी होगी। कारन यह है कि सुल्तानगंज -अगुवानी फोरलेन पुल अब तक तीन बार गिर चुका है। शिलान्यास होने के 11 साल बीत जाने के बाद भी अब तक निर्माण पूरा नहीं हो सका है। कब तक पूरा होगा, यह बताने में मंत्री से लेकर अफसर तक असमर्थ हैं।

मरीन ड्राइव बनने से राजधानी का सफर होगा आसान

मुंगेर से सबौर तक मरीन ड्राइव बनने से राजधानी की राह आसान होगी। मुंगेर और भागलपुर के लोगों एक और वैकल्पिक रास्ता मिल जायेगा। लोग इससे होकर सीधे पटना जा सकेंगे। इसके साथ ही इलाके के लोग अपने उत्पाद को भी बिहार के दूसरे जिलों में आसानी से भेज सकेंगे। भागलपुर का मक्का , केला , जर्दालु आम , कतरनी चावल जैसे उत्पाद बाहर भेज कर अच्छा मुनाफा कमा सकेंगे। इसके साथ ही सफर में समय भी बचेगा। अभी मुंगेर जाने में ढाई घंटे लग जाते हैं , लेकिन इसके बनने से डेढ़ घंटे में ही लोग पहुंच जाएंगे। साथ ही इन दोनों जिलों भागलपुर और मुंगेर को जाम की समस्या से भी निजात मिलेगी।