न्यूज़ स्कैन ब्यूरो, पटना
बिहार में विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक के बाद एक ऐसे फैसले ले रहे हैं, जो सीधे तौर पर महिलाओं को साधने की रणनीति माने जा रहे हैं। ताज़ा घोषणा में राज्य सरकार ने आशा और ममता कार्यकर्ताओं के मानदेय में बढ़ोतरी के साथ-साथ बसों में महिला यात्रियों के लिए आगे की चार पंक्तियों की सीटें आरक्षित करने का निर्णय लिया है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को घोषणा की कि अब आशा कार्यकर्ताओं को ₹3,000 मासिक प्रोत्साहन राशि मिलेगी और ममता कार्यकर्ताओं को हर सफल प्रसव पर ₹600 दिए जाएंगे। यह फैसला ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं को मज़बूती देने के उद्देश्य से लिया गया है, लेकिन इसके राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं।
इससे पहले मुख्यमंत्री ने महिला यात्रियों को ध्यान में रखते हुए राज्य परिवहन विभाग की बसों में आगे की चार लाइनों की सीटें आरक्षित करने का आदेश जारी किया था। परिवहन विभाग के अपर मुख्य सचिव मिहिर कुमार सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया। अधिकारियों ने बताया कि यह कदम महिला यात्रियों की बढ़ती संख्या और उनके लिए सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उठाया गया है।
इसके अतिरिक्त, राज्य में 27 जिलों में ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक बन चुके हैं और सारण, रोहतास व मधुबनी में नए ट्रैक निर्माण की योजना है। ड्राइवरों व कंडक्टरों के लिए यूनिफॉर्म अनिवार्य की गई है और पुरानी बसों की फिटनेस जांच के आदेश दिए गए हैं। वहीं, हेलमेट चेकिंग अभियान भी तेज़ किया गया है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ये सभी फैसले चुनावी रणनीति का हिस्सा हैं, जिससे नीतीश सरकार महिला वोट बैंक को मज़बूत करना चाहती है। हाल ही में मुख्यमंत्री ने पत्रकारों और सफाईकर्मियों के राहत को लेकर भी घोषणाएं की हैं। इन तमाम पहलों को आगामी विधानसभा चुनाव से पहले सामाजिक और राजनीतिक संतुलन साधने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।

महिलाओं पर फोकस : आशा-ममता कार्यकर्ताओं का मानदेय बढ़ा, बसों में आरक्षित सीटों का तोहफा

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