- दोनों गठबंधन में एक ही गूंज —“क्या टिकट सिर्फ नेताओं के बेटों और दल बदलकर आने वालों को ही मिलेगा?”
मदन, भागलपुर
बिहार चुनाव के इस तपते मौसम में भागलपुर की सियासत अपने उबाल पर है। जिले की सात विधानसभा सीटों पर अब मुकाबला तय है—एक ओर एनडीए की डगमत करती चाल, तो दूसरी ओर महागठबंधन की अंदरूनी कलह। साफ़ दिख रहा है कि इस बार चुनाव प्रचार से ज़्यादा घमासान टिकट बंटवारे में मचा है!
NDA: सातों सीटों पर लगभग तस्वीर साफ़, विरोध की चिंगारी भी सुलग उठी
भागलपुर जिले की सातों सीटों पर एनडीए का समीकरण लगभग तय है। तीन सीटें जदयू को, तीन भाजपा को और एक सीट लोजपा (रामविलास) के खाते में गई है। जदयू की तीन सीटें – सुल्तानगंज, कहलगांव और गोपालपुर। भाजपा की तीन सीटें – भागलपुर, पीरपैंती और बिहपुर। एलजेपी (आर) की एक सीट – नाथनगर।
जदयू का ‘भरोसा अभियान’: पुराने चेहरों को किनारे, नए को इनाम
जदयू ने सुल्तानगंज से मौजूदा विधायक ललित नारायण मंडल पर फिर भरोसा जताया है। लेकिन कहलगांव और गोपालपुर में पार्टी ने नई चाल चली है।
कहलगांव से टिकट लगभग तय है शुभानंद मुकेश के नाम पर — वही शुभानंद मुकेश जिन्होंने कांग्रेस से हारने के बाद जदयू का दामन थाम लिया था। पिछली बार इन्हें भाजपा के पवन यादव ने बुरी तरह हराया था, लेकिन अब पार्टी उन्हें दोबारा मैदान में उतारने जा रही है। हैरत यह कि भाजपा ने पवन यादव का टिकट काट दिए हैं।
गोपालपुर में चार बार के विधायक गोपाल मंडल को झटका देते हुए जदयू ने टिकट दे दिया है बुलो मंडल को — जो आरजेडी छोड़कर जदयू में शामिल हुए थे।
इस फैसले से जदयू कार्यकर्ताओं में बगावत की हवा चल पड़ी है।
भाजपा में टिकट से मची हलचल, तीन बागी मैदान में उतरने को तैयार
भाजपा ने भागलपुर, पीरपैंती और बिहपुर सीट अपने खाते में रखी है। भागलपुर से फिर से रोहित पांडेय को टिकट दे दिया गया है। हार के बावजूद दोबारा मौका देने से पार्टी के कई स्थानीय नेता फट पड़े हैं। जानकारी के मुताबिक़ अर्जित चौबे, प्रीति शेखर और प्रशांत विक्रम जैसे चेहरे निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरने की तैयारी कर चुके हैं। अगर ऐसा हुआ, तो इस सीट पर भाजपा की मुश्किलें बढ़नी तय है।
पीरपैंती से अमन पासवान और मुरारी यादव के नाम पर चर्चा है, जबकि बिहपुर से फिर से इंजीनियर कुमार शैलेंद्र को टिकट मिलने की संभावना है। हालांकि दो सूची जारी हो चुकी हैं, पर अब तक भाजपा ने उनके नाम पर मुहर नहीं लगाई है— यानी, भाजपा में भी सबकुछ गुलाबी नहीं है।
महागठबंधन में टिकट युद्ध! सीट बंटवारे को लेकर रस्साकशी जारी
उधर , महागठबंधन की हालत फिलहाल ‘अंदर से हारी हुई टीम’ जैसी है। सात सीटों में अब तक एक भी सीट पर उम्मीदवारों का आधिकारिक ऐलान नहीं हुआ।
संभावित बंटवारा:
आरजेडी – 3 सीट
कांग्रेस – 3 सीट
वीआईपी – 1 सीट
लेकिन इस बंटवारे पर ही तीनों दलों के बीच कटु खींचतान चल रही है।
सुल्तानगंज: आरजेडी से चंदन , कांग्रेस से ललन यादव और वीआईपी से टुनटुन साह अपनी दावेदारी ठोक रहे हैं।
कहलगांव: आरजेडी से झारखंड सरकार के मंत्री संजय यादव के बेटे रजनीश यादव, जबकि कांग्रेस से प्रवीण सिंह कुशवाहा टिकट की जंग में हैं। दोनों ने नामांकन करने की घोषणा कर दी है। लेकिन अब तक टिकट मिलना तो दूर, यह सीट किसे मिलेगा, यह भी तय नहीं हो सका है।
पीरपैंती: आरजेडी के लिए परंपरागत सीट — लेकिन यहां भी रामविलास पासवान, संजय राजक और झामुमो समर्थित महिला उम्मीदवार के बीच खींचतान जारी है।
भागलपुर: कांग्रेस की सीट, जहां अजीत शर्मा, उनकी बेटी नेहा शर्मा और परवेज़ जमाल तीनों दावेदार हैं।
नाथनगर: आरजेडी की सीट — मौजूदा विधायक अली अशरफ सिद्दीकी के बेटे को टिकट मिलने की संभावना सबसे ज़्यादा है।
गोपालपुर: वीआईपी ने पहले ही डब्लू यादव के नाम की घोषणा कर दी है। उन्हें सिंबल भी दे दिया है।
बिहपुर: आरजेडी के खाते में, जहां महेश मंडल और अवनीश कुमार का नाम सबसे आगे चल रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक़, महागठबंधन में गुरुवार शाम तक तस्वीर साफ़ होने की उम्मीद है, लेकिन तब तक तक़रार बढ़ती जा रही है।
नाराज़गी हर मोर्चे पर — कार्यकर्ताओं में उबाल
दोनों गठबंधनों के ज़मीनी कार्यकर्ता इस बार खुलकर नाराज़ हैं। हर दल में यह सवाल गूंज रहा है —“क्या टिकट सिर्फ नेताओं के बेटों और दल बदलकर आने वालों को ही मिलेगा?” स्थानीय कार्यकर्ताओं का कहना है कि वे सालों से पार्टी के लिए झंडा उठा रहे हैं, भीड़ जुटा रहे हैं, नारे लगा रहे हैं, लेकिन टिकट की लॉटरी हमेशा ऊपर से आए ‘बड़े नामों’ पर ही निकलती है। इससे कई जगह अंदरूनी बगावत तेज़ हो चुकी है।
निष्कर्ष: भागलपुर बनेगा सियासत का बारूदी मैदान
भागलपुर की सातों सीटों पर इस बार मुकाबला सिर्फ एनडीए और महागठबंधन के बीच नहीं होगा —
मुकाबला होगा वफादारी और बगावत के बीच एनडीए में जहां सीटें लगभग तय हो चुकी हैं, वहीं महागठबंधन की हालत ‘किसको मिले कुर्सी’ वाले ड्रामे में फंसी है।
आने वाले दिनों में यही सीटें तय करेंगी कि भागलपुर में सत्ता का सेहरा किसके सिर बंधेगा या बगावत की आग दोनों को जला देगी।