भागलपुर में ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट: 931 एकड़ जमीन का होगा अधिग्रहण, ₹472 करोड़ मुआवजे की राशि मंजूर; चुनावी मौसम में विकास की उड़ान या सियासी सौगात?

  • बड़ा सवाल: क्या यह वाकई एयरपोर्ट बनाने की ठोस शुरुआत है या सिर्फ चुनाव के दौरान वोटरों को रिझाने का चुनावी चाल?


न्यूज स्कैन रिपाेर्टर, भागलपुर

जिले में लंबे समय से उठ रही हवाई अड्डे की मांग को लेकर बड़ी प्रगति हुई है। सुल्तानगंज अंचल क्षेत्र में ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट निर्माण के लिए 931 एकड़ भूमि अधिग्रहित की जाएगी। इसके लिए राज्य सरकार ने प्रभावित किसानों और भू-स्वामियों को मुआवजा भुगतान के लिए ₹472.72 करोड़ की राशि स्वीकृत कर दी है।
जानकारी के अनुसार, भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया से हजारों किसान और भू-स्वामी प्रभावित होंगे, जिन्हें पारदर्शी तरीके से मुआवजा दिया जाएगा। प्रशासन का कहना है कि किसी भी तरह की गड़बड़ी या अनियमितता नहीं होने दी जाएगी।

भागलपुर एयरपोर्ट का संघर्ष और निर्णय

भागलपुर में हवाई अड्डे की मांग कई दशकों से होती रही है। पहले छोटे विमानों के लिए पुराने हवाई अड्डे से सेवा शुरू करने की योजना बनी, लेकिन वह सफल नहीं हो सकी। यह मुद्दा बार-बार विधानसभा और लोकसभा में भी उठता रहा।
15 मार्च 2024 को हुई मंत्रिमंडल बैठक में भागलपुर में न्यूनतम 6000 फीट रनवे और टर्मिनल भवन के साथ नया हवाई अड्डा बनाने के प्रस्ताव को सैद्धांतिक सहमति मिली। इसके बाद प्रशासन ने गोराडीह, अकबरनगर-शाहकुंड रोड और सुल्तानगंज तीन जगहों का प्रस्ताव भेजा। तकनीकी जांच के बाद गोराडीह और अकबरनगर-शाहकुंड प्रस्तावों को खारिज कर दिया गया। अंततः सुल्तानगंज को ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट के लिए चुना गया।

क्यों जरूरी है हवाई सेवा?

भागलपुर को सिल्क सिटी के नाम से जाना जाता है। यहाँ का रेशम उद्योग, जर्दालु आम, कतरनी चावल और अन्य उत्पादों को बड़ा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार मिल सकता है, यदि हवाई सेवा शुरू हो जाए।
साथ ही, यहाँ कई प्रमुख संस्थान और धरोहरें मौजूद हैं। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय व कृषि विश्वविद्यालय, विक्रमशिला महाविहार, कहलगांव में प्रस्तावित केंद्रीय विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल। वर्तमान में गंभीर मरीजों के इलाज, व्यापार और पर्यटन के लिए लोगों को पटना, कोलकाता या रांची जाना पड़ता है। रेल और सड़क मार्ग से समय पर पहुंच पाना कई बार संभव नहीं होता। हवाई अड्डा बनने से यह संकट काफी हद तक दूर होगा और क्षेत्रीय विकास को नई गति मिलेगी।

चुनावी मौसम का सवाल

इस साल बिहार विधानसभा चुनाव होने हैं और संभावना जताई जा रही है कि जल्द ही चुनाव की तिथि की घोषणा भी हो सकती है। ऐसे में मुआवजा राशि की स्वीकृति को लेकर सवाल उठने लगे हैं। क्या यह फैसला सिर्फ चुनावी सौगात है या वास्तव में एयरपोर्ट निर्माण की दिशा में ठोस पहल? विशेषज्ञ मानते हैं कि अब इस परियोजना पर कोई भी ठोस काम चुनाव के बाद ही संभव होगा। चुनाव परिणाम आने के बाद ही यह साफ हो पाएगा कि ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट हकीकत की ओर बढ़ेगा या सिर्फ चुनावी तोहफा बनकर रह जाएगा। हालांकि अगर इस परियोजना पर काम होता है तो यह न सिर्फ भागलपुर और अंग प्रदेश, बल्कि पूरे पूर्वी बिहार के लिए ऐतिहासिक साबित हो सकती है।

हकीकत क्या है?

चुनावी साल है और जल्द ही विधानसभा चुनाव की घोषणा होने वाली है। ऐसे में अब जमीन अधिग्रहण या निर्माण कार्य चुनाव तक ठंडे बस्ते में चला जाएगा।

जनता के सवाल

  • अगर शासन-प्रशासन ईमानदार है तो चुनाव के पहले यह पहल क्यों?
  • क्या सिर्फ मुआवजा राशि स्वीकृत कर देने से एयरपोर्ट बन जाएगा?
  • चुनाव परिणाम के बाद क्या यह योजना फिर से ठंडे बस्ते में नहीं चली जाएगी?

विकास या वोट बैंक का खेल?

भागलपुर और पूरे अंग क्षेत्र को हवाई सेवा की सख्त ज़रूरत है। सिल्क और कृषि उत्पादों को बड़ा बाजार मिल सकता है। विक्रमशिला, विश्वविद्यालय, मेडिकल कॉलेज और पर्यटन को नई दिशा मिल सकती है।
लेकिन सरकार ने इतने सालों तक अनदेखी की और अचानक चुनाव से पहले यह घोषणा कर दी। क्या यह विकास का संकल्प है या सिर्फ चुनावी स्टंट?