धर्मराज महोत्सव को मिले राजकीय महोत्सव का दर्जा- भगैत महासभा

  • कलाकार पेंशन योजना के लिए सीएम नीतीश को साधुवाद
  • बिहार के कलाकारों को मुख्यमंत्री की बड़ी सौगात

न्यूज स्कैन ब्यूरो , सुपौल

सुपौल सदर प्रखंड के चौघारा ग्राम में अखिल भारतीय लोकगाथा भगैत महासभा के तत्वावधान में रविवार को संगोष्ठी सह महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। वार्षिक सभापति घिनाय यादव की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में सर्वसम्मति से भारतीय संस्कृति ,सभ्यता व लोकगाथा भगैत के संरक्षण के साथ साथ बाबा धर्मराज के संदेश को जन जन में पहुँचाने के उद्देश्य से राजकीय महोत्सव के रूप में बाबा धर्मराज महोत्सव आयोजन को लेकर जिला पदाधिकारी के माध्यम से बिहार सरकार के कला संस्कृति एवं युवा विभाग को प्रस्ताव भेजने का निर्णय लिया गया। वहीं मुख्यमंत्री कलाकार पेंशन योजना को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रति आभार व्यक्त किया गया। संगोष्ठी को संबोधित करते हुए महासभा प्रवक्ता डॉ. अमन कुमार ने कहा कि बिहार सरकार ने राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित रखने हेतु जीवन भर योगदान देने वाले वृद्ध, आर्थिक रूप से कमजोर एवं उपेक्षित कलाकारों को आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए मुख्यमंत्री कलाकार पेंशन योजना शुभारंभ की गई है। इसके तहत पचास वर्ष से अधिक आयु के आर्थिक रूप से कमजोर कलाकारों को प्रत्येक महीना तीन हजार रूपया पेंशन मिलेगी। आवेदक को बिहार का मूल निवासी होने के साथ साथ कला के क्षेत्र में दस साल का अनुभव होना चाहिए। वार्षिक आय एक लाख बीस हजार से अधिक नहीं होनी चाहिए।

आवेदक किसी भी सरकारी सेवा में नहीं होना चाहिए। इसके लिए विभागीय कलाकार पंजीयन पोर्टल पर पंजीकरण अनिवार्य है। डॉ. कुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री कलाकार पेंशन योजना का लाभ लेने के लिए आवेदक का निवास प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र, कलाकार होने का प्रमाण, पासपोर्ट साइज फोटो, आधार कार्ड, डिजिटल प्रारूप में हस्ताक्षर, आधार कार्ड से लिंक बैंक खाता आदि आवश्यक दस्तावेज का होना अनिवार्य है। यह योजना कला के क्षेत्र में जीवन समर्पित करने वाले कलाकारों को सम्मानजनक जीवन जीने में मदद करेेगी। डॉ. कुमार ने कहा कि विलुप्त हो रही लोक कलाओं को संरक्षित करने के लिए बिहार सरकार ने मुख्यमंत्री गुरू-शिष्य परम्परा योजना को चालु किया गया है। इस योजना के तहत कलाकरों के संरक्षण व कला प्रेमियों को एक सशक्त मंच मिलेगी। योजना के अन्तर्गत चयनित गुरूओं को पन्द्रह हजार रूपया प्रति माह, संगतकार को सात हजार पांच सौ रूपया और शिष्य को तीन हजार रूपया प्रति माह छात्रवृति दी जाएगी।

खास बात यह है कि प्रशिक्षण की समाप्ति पर भव्य दीक्षांत समारोह का आयोजन किया जाएगा। जिसमें प्रशिक्षु अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे और उन्हें सम्मानित भी किया जाएगा। यह योजना राज्य के संस्कृति पूनर्जागरण की आधारशिला रखते हुए भावी पीढ़ी के लिए सांस्कृतिक पहचान से जोड़ने का कार्य करेगी। संगोष्ठी में सभापति यदुनंदन यादव, खट्टर यादव, लक्ष्मी यादव, मोहन यादव, कृष्ण कुमार,शम्भू यादव, फुलेंद्र यादव, सत्यनारायण यादव,शिवनारायण यादव, भूमि यादव,रामनारायण साह, विपीन कुमार, रामचन्द्र साह, रामप्रसाद यादव, जगदीश मेहता, उमेश मेहता, महेन्द्र पासवान, कारी साह, रमेश शर्मा आदि उपस्थित थे।