- विदेश की धरती पर बिखरी अंगिका की महक
न्यूज स्कैन ब्यूरो, भागलपुर
अमेरिका के कैलिफ़ोर्निया में भारतीय भाषा-संस्कृति के समृद्ध रंगों से सजा एज वेल सेंटर ऐट लेक एलिज़ाबेथ का सभागार अंगिका की मधुर लहरियों से गूंज उठा। अनेक प्रतिष्ठित कृतियों की रचयिता और भारतीय साहित्य-जगत की सम्मानित हस्ती, प्रो. (डॉ.) विद्या रानी सिन्हा ने जब मंच पर आकर अंगिका भाषा में रचित अपने झूमर गीत एक के बाद एक सुनाने शुरू किए, तो श्रोताओं का मन मोह लिया।
अमेरिकी दर्शक भी इन लोकधुनों के सम्मोहन से अछूते न रह सके। पूरे सभागार में तालियों की गड़गड़ाहट और झूमते-थिरकते चेहरों का अद्भुत दृश्य उपस्थित हो गया।
अपने संबोधन में डॉ. सिन्हा ने भावुक होकर कहा—
“मैं 16 अप्रैल को कैलिफ़ोर्निया आई। भारत में मेरे वरिष्ठ कवि-मित्र पारस कुंज को यह जानकारी मिली, तो उन्होंने यहां ‘फीसा’ की सक्रिय सदस्या ममता सिन्हा से मेरा परिचय करवाया और प्रवास के बारे में अवगत कराया। इसी का परिणाम है कि आज मुझे आप सबके बीच अपनी रचनाओं और भावनाओं को साझा करने का अवसर मिला है। इसके लिए मैं पारस कुंज, ममता और राकेश की हार्दिक आभारी हूँ।”
यह सम्मान समारोह फ्रीमॉन्ट इंडो-अमेरिकन सीनियर्स एसोसिएशन (FISA) द्वारा आयोजित किया गया था। कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्था के अध्यक्ष अमृत चुग ने की। उपाध्यक्ष अवधेश सक्सेना, सचिव राकेश कपूर, ममता सिन्हा, करूणा, राकेश, प्रजापति झा और वैभव सिन्हा सहित सैकड़ों साहित्यप्रेमी और बुद्धिजीवी इस अवसर के साक्षी बने। संस्था की ओर से डॉ. विद्या रानी सिन्हा को पुष्पगुच्छ एवं सम्मान-पत्र भेंट कर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम का आरंभ ममता सिन्हा के स्वागत भाषण से हुआ, जिसमें उन्होंने आमंत्रित साहित्यकार का विस्तार से परिचय दिया। अपनी काव्यात्मक शैली में ममता ने न केवल डॉ. सिन्हा की साहित्यिक यात्रा को रेखांकित किया, बल्कि अंगिका भाषा और संस्कृति के संरक्षण में उनके योगदान की सराहना भी की।
इस अवसर पर उपस्थित साहित्यकारों और श्रोताओं ने एक स्वर में माना कि डॉ. विद्या रानी सिन्हा का रचना संसार भारतीय लोक-संस्कृति की गहराइयों में पैठा हुआ है और विश्व-पटल पर अंगिका की पहचान को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने में उनकी भूमिका ऐतिहासिक है।