सुपौल में मां कालरात्रि के दर्शन को उमड़ा आस्था का महासागर


ढोल-नगाड़ों और महा आरती से गूंजा पूरा जिला,
पट खुलते ही दुर्गा मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ने लगी

न्यूज स्कैन ब्यूरो, सुपौल

शारदीय नवरात्रि का आठवां दिन सुपौल जिले में आस्था और भक्ति का अद्भुत संगम लेकर आया। सप्तम स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा-अर्चना के लिए सुबह से ही मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। जैसे ही मां का पट खोला गया, श्रद्धालुओं के चेहरों पर अपार उत्साह और आंखों में आस्था की चमक साफ झलकने लगी। जिला मुख्यालय से लेकर प्रखंडों और गांवों तक शक्ति मंदिरों में भक्तों का जनसैलाब उमड़ पड़ा।
ढोलक और मजीरे की थाप पर थिरकते श्रद्धालु मां के भजनों में खो गए। मंदिर प्रांगण “जय माता दी” के गगनभेदी नारों से गूंज उठे। जगह-जगह दुर्गा सप्तशती का पाठ और भजन-कीर्तन आयोजित हुए। फूलों की खुशबू, दीपों की लौ और मंत्रोच्चार की ध्वनि ने वातावरण को आध्यात्मिक ऊर्जा से सराबोर कर दिया।
शाम होते-होते मंदिरों में महा आरती का आयोजन हुआ। हजारों की संख्या में महिलाएं और पुरुष श्रद्धालु दीपक जलाकर आरती में शामिल हुए। घड़ियाल और घंटियों की गूंज, साथ ही सामूहिक आरती गायन ने हर किसी को भावविभोर कर दिया। कई श्रद्धालु तो मां के चरणों में बैठकर आंसुओं के साथ अपनी भक्ति अर्पित कर रहे थे।
भीड़ अधिक होने पर भी व्यवस्था संभालने के लिए स्थानीय प्रशासन और स्वयंसेवक सक्रिय रहे। हर आयु वर्ग के लोग—बच्चे, युवा, महिलाएं और बुजुर्ग—मां कालरात्रि के दर्शन के लिए बेताब नजर आए। भक्तों ने देवी मां से जीवन में सुख-शांति, समृद्धि और संकट निवारण की प्रार्थना की।
सुपौल का हर कोना सोमवार को देवी भक्ति से सराबोर दिखा। मंदिरों में गूंजते भजन, सजीव झांकियां, ढोल-नगाड़ों की धुन और सामूहिक महा आरती ने नवरात्रि को भक्ति और संस्कृति का अनूठा पर्व बना दिया। आठवें दिन की यह आस्था का महासंगम सुपौल की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक परंपरा का जीवंत प्रतीक साबित हुआ। विधि व्यवस्था को लेकर एसडीएम इंद्रवीर कुमार और एसडीपीओ और थानाध्यक्ष अनिरुद्ध कुमार ने बाजार में पुलिस बल के साथ फ्लैग मार्च किया।