भागलपुर में ट्रांसफॉर्मर घोटाला! नगर निगम और बिजली कंपनी की मिलीभगत से शहर में खड़े किए गए मौत के खंभे

न्यूज़ स्कैन रिपाेर्टर, भागलपुर

भागलपुर की सड़कों पर मौत तैनात है। नियम-कानून को ताक पर रखकर नगर निगम और बिजली कंपनी ने मिलकर पूरे शहर को मौत के खंभों से भर दिया है। यह महज़ लापरवाही नहीं, बल्कि सीधे-सीधे करोड़ों का ट्रांसफॉर्मर घोटाला है। ये आरोप शहर के नागरिक और मुख्य बाजार की सड़कों पर चलने वाले राहगीर लगा रहे हैं।

हालात यह है कि एक तरफ हाईकोर्ट के आदेश पर सड़क किनारे लगे ट्रांसफॉर्मरों के नीचे लोहे का जाल लगाकर सुरक्षा का दिखावा किया जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ, कमर्शियल ट्रांसफॉर्मरों को लेकर नगर निगम, बिजली कंपनी और प्रशासन ने आँखें मूंद ली हैं।

भागलपुर के खलीफाबाग से वेरायट रोड के बीच में लगा कमर्शियल ट्रांसफॉर्मर।

नियम साफ – लेकिन भागलपुर में उल्टा खेल

कानून कहता है कि कोई भी व्यापारी कमर्शियल ट्रांसफॉर्मर अपनी निजी जमीन पर लगाएगा। लेकिन भागलपुर में हुआ इसके बिल्कुल उल्टा—नगर निगम की जमीन पर, शहर की मुख्य सड़कों और फुटपाथों पर ट्रांसफॉर्मर ठोक दिए गए, जिससे पूरा शहर जाम और हादसों के खतरे में जी रहा है।

बड़ा सवाल – किसकी मिलीभगत?

क्या नगर निगम ने इन। कमर्शियल ट्रांसफॉर्मरों के लिए एनओसी दी? अगर नहीं, तो ये मौत के खंभे किसकी इजाज़त से खड़े हुए? अगर हां, तो निगम की जमीन कब से निजी व्यापारियों को बाँटी जाने लगी? यह साफ है कि बिना नगर निगम और बिजली कंपनी की मिलीभगत के यह संभव ही नहीं।

भागलपुर के खलीफाबाग से वेरायट रोड के बीच में लगा कमर्शियल ट्रांसफॉर्मर।

अधिकारियों की बेशर्मी

जब बिजली कंपनी के इंजीनियर से सवाल पूछा गया तो जवाब और भी शर्मनाक था। “एनओसी की जांच हम नहीं करते, यह तो उपभोक्ता की जिम्मेदारी है।” यानी, मौत के कमर्शियल ट्रांसफॉर्मर शहर के बीचोंबीच खड़े किए जा रहे हैं और जिम्मेदार विभाग अपने कंधे झाड़कर बच निकल रहा है।

शहर में बिछा मौत का जाल

खलीफाबाग, खरमनचक, वेरायटी चौक, सूजागंज, तिलकामांझी, जवारीपुर, पटल बाबू रोड और सोनापट्टी जैसी व्यस्त सड़कों और गलियों को कमर्शियल ट्रांसफॉर्मरों ने पूरा शहर कबाड़खाना बना दिया है। नतीजा, हर दिन जाम, हर रोज़ हादसों का खतरा, हर पल आम जनता की ज़िंदगी दांव पर है।

जनता का गुस्सा – सीधा आरोप घोटाले का

शहरवासी साफ कह रहे हैं—यह महज़ लापरवाही नहीं, बल्कि करोड़ों का घोटाला है। नगर निगम और बिजली विभाग ने मिलीभगत कर सड़कों को निजी व्यापारियों के हवाले कर दिया। इस खेल की कीमत आम जनता अपनी जान जोखिम में डालकर चुका रही है।

बिजली कंपनी का बचाव

बिजवी कंपनी के प्रोजेक्ट सहायक अभियंता प्रशांत भारतीय ने बताया कि ट्रांसफॉर्मर लगाने के लिए आवेदन और 15% सुपरविजन चार्ज की प्रक्रिया तय है। नियम है कि ट्रांसफॉर्मर निजी जमीन पर लगाया जाए। अगर सरकारी या दूसरी जमीन पर ट्रांसफॉर्मर लगाया गया है, तो एनओसी की जिम्मेदारी उपभोक्ता की है।