न्यूज स्कैन ब्यूरो, नई दिल्ली /पटना
बिहार में मतदाता सूची को लेकर विवाद के बीच अब राशन कार्ड को लेकर भी बड़ा कदम उठाया गया है। केंद्र सरकार ने 22 जुलाई 2025 को एक अहम आदेश जारी करते हुए स्पष्ट किया है कि जो लाभुक पिछले छह महीने से राशन नहीं ले रहे हैं, उनके राशन कार्ड रद्द कर दिए जाएंगे।
यह फैसला देशभर में लागू होगा, लेकिन बिहार में इसका असर सबसे बड़ा होने की संभावना है। राज्य सरकार को संदेह है कि लाखों राशन कार्ड फर्जी हो सकते हैं।
क्या है नया आदेश?
22 जुलाई को केंद्र सरकार ने लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (नियंत्रण) संशोधन आदेश अधिसूचित किया है। इसके तहत पूरे देश में तीन महीने का विशेष अभियान चलाया जाएगा. इसमें घर-घर जाकर सत्यापन किया जाएगा कि किन लाभुकों ने राशन लिया है और किन्होंने नहीं।
जो व्यक्ति लगातार छह माह तक राशन लेने नहीं पहुंचे, उन्हें स्वैच्छिक त्याग मानते हुए उनके कार्ड रद्द कर दिए जाएंगे।
बिहार में क्या है स्थिति?
बिहार में कुल 8.71 करोड़ राशन कार्डधारी हैं। पूरे देश में राशन कार्डों की संख्या लगभग 23 करोड़ है।
अनुमान है कि बिहार में लगभग 15% कार्ड रद्द हो सकते हैं।
राज्य सरकार को संदेह है कि लाखों राशन कार्ड फर्जी या निष्क्रिय हैं।
राशन कार्ड रद्द होने के कारण:
- 6 महीने से राशन नहीं लेना
- फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बने कार्ड
- एक ही व्यक्ति के नाम पर एक से अधिक कार्ड
- मृत लोगों या बाहर चले गए व्यक्तियों के नाम पर जारी कार्ड
- बिना पात्रता के लाभ ले रहे लोग
क्या होगी प्रक्रिया?
पंचायत और शहरी वार्ड स्तर पर सर्वे टीमों का गठन किया जाएगा।
राशन दुकानदार, पंचायत सेवक, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और स्थानीय अधिकारी मिलकर डोर-टू-डोर सत्यापन करेंगे।
राशन कार्ड की स्थिति की जांच के बाद निष्क्रिय कार्ड रद्द कर दिए जाएंगे।
सरकार का उद्देश्य क्या है?
इस आदेश का मकसद सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) में पारदर्शिता लाना और वास्तव में जरूरतमंद लोगों तक ही सरकारी अनाज पहुंचाना है।
फर्जी या निष्क्रिय कार्ड के कारण सरकारी सब्सिडी और खाद्यान्न का दुरुपयोग हो रहा है। सरकार इसे रोकने की दिशा में यह एक बड़ा कदम मान रही है।