न्यूज स्कैन डेस्क, पटना
बिहार की राजनीति में निशांत अचानक से चर्चाओं के केंद्र में आ गए हैं। निशांत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेटे हैं। उत्तराधिकारी पर विचार-विमर्श आजकल बिहार की राजनीति के केंद्र में है। सबसे पहले निशांत के जन्मदिन पर रालोसपा के उपेंद्र कुशवाहा ने नीतीश कुमार को संबोधित करते हुए एक पत्र लिखा। पत्र में लिखा कि नीतीश सत्ता चलाएं लेकिन पार्टी की जिम्मेदारी बेटे निशांत को सौंप दें। अब राबड़ी देवी भी बेटे के मामले में बयान दे रही हैं। कहा है कि नीतीश को चाहिए कि निशांत को गद्दी सौंप दें। जदयू प्रवक्ता ने नीरज ने पलटवार किया है और कहा कि राबड़ी पहले अपने बेटे तेजप्रताप पर ध्यान दे। राजनीति से हमेशा दूर रहने वाले नीतीश कुमार के पुत्र निशांत को लेकर बयानबाजी की बाढ़ आ गई है। उपेंद्र और राबड़ी के बयानों ने बिहार की सियासत में दो अहम सवाल खड़े कर दिए हैं… पहला ये कि क्या नीतीश कुमार वाकई अब उत्तराधिकारी के तौर पर निशांत को तैयार कर रहे हैं? दूसरा यह कि क्या विपक्ष इसी बहाने नीतीश की राजनीतिक पकड़ को चुनौती देने की कोशिश कर रहा है?
सबसे पहले जानिए कि उपेंद्र कुशवाहा की चिट्ठी के निहितार्थ क्या है? पूर्व केंद्रीय मंत्री और एक समय के नीतीश के सहयोगी रहे उपेंद्र कुशवाहा ने हाल ही में मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने लिखा : “मुख्यमंत्री के तौर पर आप शासन चलाएं, लेकिन पार्टी की जिम्मेदारी अपने पुत्र को दें। इससे नेतृत्व का भविष्य सुनिश्चित होगा।” यह चिट्ठी प्रतीकात्मक तौर पर केवल उत्तराधिकार की नहीं, बल्कि जदयू के आंतरिक नेतृत्व संकट की ओर भी स्पष्ट इशारा करती है। कुशवाहा दरअसल यह जताना चाह रहे हैं कि पार्टी में नेतृत्व को लेकर एक स्पष्ट दिशा नहीं है, और यह दुविधा भविष्य में जदयू के लिए संकट बन सकती है।
वहीं राबड़ी देवी ने तो चुभती हुई टिप्पणी की है। कहा, “नीतीश कुमार को अब अपने बेटे को गद्दी सौंप देनी चाहिए। उम्र हो गई है, अब आराम करें।” ये वही राबड़ी देवी हैं जो खुद लालू यादव की गैरहाजरी में मुख्यमंत्री रही हैं। राबड़ी देवी की टिप्पणी एेसे समय में आई है जब नीतीश के स्वास्थ्य को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं। साथ ही 2025 की तैयारियों के बीच भी नेतृत्व को लेकर तमाम तरह की चर्चाएं पार्टी के अंदर-बाहर जारी हैं। वहीं जदयू राबड़ी के बयान पर हमलावर है। पार्टी प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा है कि राबड़ी को चाहिए कि अपने बेटे तेजप्रताप पर ध्यान दे जिनके बयानों से पार्टी को रोज शर्मिंदा होना पड़ रहा है।
ज्ञात हो कि निशांत ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। राजनीति से अब तक पूरी दूरी बनाए रखे हैं। नीतीश कुमार खुद कई बार कह चुके हैं कि उनका बेटा राजनीति में नहीं आएगा। नीतीश ने यह भी कहा था कि निशांत की राजनीति में कोई रुचि भी नहीं है। लेकिन सच यह भी है कि उम्र बढ़ने और पार्टी में कोई उत्तराधिकारी नजर नहीं आने की वजह से निशांत को लेकर चर्चाएं तेज रहती है। विपक्ष चाहता है कि इस मुद्दे को हवा देकर एेसा माहौल बनाया जाए कि जदयू अंदरुनी तौर पर असमंजस में है। निशांत के बहाने यह साबित करने की भी कोशिश है कि नीतीश अब पार्टी नेतृत्व नहीं संभाल पा रहे हैं। यह बताने की कोशिश है कि जदयू में राजनीतक नेतृत्व का वैक्यूम बन चुका है विपक्ष की बात अपनी जगह… लेकिन तथ्य यह भी है कि जदयू में नीतीश के बाद चेहरे का संकट तो जरूर है।