भागलपुर एक ऐसा गांव ऐसा भी … अब बनने लगा कुंवारों की बस्ती

  • बाढ़ ने छीना घर और अब रिश्ते: ये है भागलपुर का मसाढू गांव

भागलपुर। बिहार के भागलपुर जिले के सबौर प्रखंड स्थित मसाढूं गांव कटाव के मुहाने पर हैं। वहां एक बार फिर से बढ़ और कटाव का खतरा मंडराने लगा है। हालत यह है की अब गाओं में कोई रिश्ता लेकर नहीं आता है। ऐसी स्थिति में गांव धीरे धीरे कुंवारों का गांव बनने लगा है। लड़के की उम्र बढ़ रही है , लेकिन उनलोगों की शादी नहीं हो पा रही है।


विशुनदेव मंडल की मानें तो, “जब हमारे पास खुद रहने का ठिकाना नहीं बचा है, तो समधी कहां से आएंगे? पिछले साल की तबाही ने सबकुछ छीन लिया, अब बेटी-बेटे की शादी के लिए कोई तैयार नहीं होता गांव की बेटियों की स्थिति भी बेहद चिंताजनक है दहेज में देने लायक न तो ज़मीन बची है, न कोई जमापूंजी इस कारण शादी के प्रस्ताव भी ठुकरा दिए जाते हैं। ग्रामीणों के अनुसार, अब हालात ऐसे हैं कि कई युवा लड़के-लड़कियाँ शादी की उम्र पार कर चुके हैं, लेकिन कोई रिश्ता नहीं बन रहा इस गंभीर सामाजिक मुद्दे पर ममलखा पंचायत के मुखिया अभिषेक मंडल भी चिंतित दिखे।

उन्होंने गंगा किनारे बातचीत के दौरान कहा, “यह सिर्फ आर्थिक या भौगोलिक समस्या नहीं है, यह एक सामाजिक आपातकाल जैसी स्थिति बन गई है गांव के लोगों को पुनर्वास की सख्त जरूरत है उन्होंने सरकार से मांग की कि ऐसे गांवों के लिए विशेष पुनर्वास और सहायता योजना चलाई जाए, ताकि इन परिवारों को फिर से सामाजिक सम्मान और स्थायित्व मिल सके गंगा किनारे बसे मसाढूं जैसे सैकड़ों गांवों में यही हालात हैं, जहां प्रकृति की मार ने लोगों का जीवन पूरी तरह बदल दिया है। लेकिन जब यह मार सामाजिक रिश्तों और इंसानी गरिमा को भी लीलने लगे, तो यह केवल प्राकृतिक आपदा नहीं रह जाती, बल्कि एक सामाजिक त्रासदी बन जाती है।