न्यूज स्कैन ब्यूरो, भागलपुर
सृजन घोटाला में फंसे आरोपी एक-एक कर जमानत पर बाहर आ रहे हैं। ज्यादातर आरोपी बाहर आ चुके हैं। इसके साथ ही अब वे लोग ईडी और सीबीआई की ओर से जब्त संपत्ति का पता लगाने में जुट गए हैं, ताकि जब्त संपत्ति को छुड़ा सके। इसके लिए कानून के जानकार से सलाह ले रहे हैं। वहीँ मुख्य आरोपी रजनी प्रिया भी जल्द बाहर आ सकती है क्योंकि उन पर दर्ज 14 केस में से ज्यादातर में जमानत मिल गयी है। दो केस हाई कोर्ट में चल रहे हैं। साथ ही रजनी प्रिया को हाल में ही प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग मामले में भी सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है। ऐसे में उनके जेल से बाहर आने की सम्भावना बढ़ गई है।
बता दें सृजन महिला विकास सहयोग समिति द्वारा सरकारी खजाने में सेंधमारी की गयी। अफसर , कर्मी, बैंककर्मी और संस्था के पदधारकों द्वारा करीब हजार करोड़ रुपये की हेराफेरी ही गयी। इस मांमले में करीब 26 प्राथमिकी दर्ज की गयी है। अब तक इस मांमले में दो जाँच एजेंसी सीबीआई और ईडी की और से कार्रवाई की गयी है। लेकिन घोटाले की राशि का एक रूपए भी अब तक वापस नहीं आ सका है। हालत यह है कि जिन सम्पत्तियों को जब्त किया गया है, वहां कई बार चोरी भी हो चुकी है। वहीँ अचल संपत्ति की खरीद बिक्री पर रजिस्ट्रार ने रोक लगा रखी है।
घोटाला उजागर होने के 8 साल बीतने को हैं… जानिए सरकारी खजाने को लूटने का पूरा खेल कैसे हुआ… अब तक सरकार का एक रुपया भी वापस नहीं आया है
इस तरह से पड़ी थी घोटाले की नींव
सृजन घोटाले की नींव आज से करीब 22 साल पहले रखी गयी थी। उस वक्त भागलपुर के डीएम केपी रमैया थे। साल था 2003। तत्कालीन डीएम केपी ने 20 दिसंबर 2003 को एक पत्र जारी किया, जिसका पत्रांक 1136 था। इसमें कहा गया कि सरकारी योजनाओं की राशि सृजन महिला विकास सहयोग समिति के खाते में जमा करें ताकि संस्था को प्रोत्साहित किया जा सके। इसके साथ ही प्रखंडों से राशि सृजन संस्था के खाते में जमा की जाने लगी। इसके बाद कई डीएम आए गए, लेकिन किसी ने उस ओर ध्यान नहीं दिया और सबने नजरअंदाज किया। नतीजा, सृजन संस्था के पदधारी सरकारी पैसे को सूद पर पैसे मार्केट में लगाने लगे और जब विभाग की ओर से चेक बैंक भेजा जाता तो उतनी राशि जमा कर दी जाती। यह खेल तब खराब हुआ, जब सृजन संस्था की संचालिका मनोरमा देवी का निधन हो गया। बाजार में दिया पैसा वापस नहीं किया जाने लगा और विभाग ने राशि निकासी के लिए जब चेक बैंक में भेजा तो यह बाउंस हो गया। कारण, सृजन संस्था की ओर से बैंक में समय पर पैसे जमा नहीं किए जाते। इस घोटाले में सृजन संस्था के पदधारी, प्रशासनिक अफसर व कर्मचारी और बैंक के अफसर तक संलिप्त थे। ये खेल करीब डेढ़ दशक तक चलता रहा।
राशि वसूली के लिए विभागों की ओर से प्रयास सिर्फ कागजी
विभागों से अवैध रूप से निकासी की गयी राशि की वसूली के लिए प्रशासनिक स्तर पर कार्रवाई सिर्फ कागज में सिमट कर रह गयी है। आठ साल बीतने को है , लेकिन अब तक एक पैसा भी प्रशासन वापस नहीं ला सका है . विभिन्न विभागों से राशि की अवैध निकासी के लिए जिला प्रशासन बैंकों को जिम्मेदार मानता है। इसमें मुख्य रूप से बैंक ऑफ बड़ौदा, इंडियन बैंक और बैंक ऑफ इंडिया के लोग शामिल रहे। उन बैंकों से राशि की वसूली के लिए स्वास्थ्य, कल्याण और डीआरडीए की ओर से सर्टिफिकेट केस किया गया। इसमें सर्टिफिकेट अफसर ने बैंकों को राशि वापस करने के लिए आदेश भी दिए हैं। लेकिन बैंक की ओर से अब तक एक रुपए भी नहीं लौटाये गए हैं। जबकि नजारत, भू अर्जन, जिला परिषद, डूडा और को-ऑपरेटिव बैंक की ओर से मनी सूट दायर किया गया है और इन सारे मामलों में कोर्ट में सुनवाई चल रही है। जबकि प्रखंडों से राशि की अवैध निकासी की वसूली के लिए अब तक कोई प्रयास नहीं किया गया है। हालत यह है की अब सब कुछ ठन्डे बस्ते में चला गया है।
अब तफ सिर्फ छोटे प्यादे पर गिरी है गाज , बड़े अफसरों पर नहीं
सृजन घोटने में अब तक सिर्फ छोटे कर्मियों पर कार्रवाई की जा सकी है , लेकिन जिन बड़े अफसरों की नज़रों के सामने सबकुछ होता रहा। उन पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की जा सकी है। सृजन घोटाला में फंसे चार पूर्व नाजिर के खिलाफ विभागीय कार्यवाही पूरी हो गई है। इसमें जिला भू-अर्जन के पूर्व नाजिर राकेश झा, जिला नजारत शाखा के ओम श्रीवास्तव, डीआरडीए के अरुण कुमार और जिला परिषद के पूर्व नाजिर राकेश कुमार शामिल हैं। उनमें तीन को बर्खास्त किया जा चुका है। जबकि जिला परिषद के पूर्व नाजिर राकेश कुमार के खिलाफ सुनवाई पूरी हो गई है। साथ ही जिला नजारत शाखा के पूर्व क्लर्क अमरेंद्र कुमार के खिलाफ चल रही विभागीय कार्यवाही की फाइल अभी बंद है क्योंकि वे अभी जेल में बंद हैं। इसलिए सुनवाई ने नाम पर केवल तारीख दी जा रही है।
जानिए, किन विभागों से कितनी राशि की अवैध निकासी की गई थी
जिला नजारत शाखा- 220 करोड़ 27 लाख रुपए
जिला भू-अर्जन – 333 करोड़ 44 लाख रुपए
जिला कल्याण- 221 करोड़ 61 लाख रुपए
जिला परिषद – 101 करोड़ 78 लाख रुपए
डीआरडीए- 83 करोड़ रुपए
डूडा – 15 करोड़ 81 लाख रुपए
को ऑपरेटिव बैंक- 48 करोड़ रुपए
छह प्रखंडों से- 65 करोड़ रुपए
जिला स्वास्थ्य- 44 लाख रुपए
कब , कैसे और क्या हुआ है अब तक
2004 से 2017 के बीच विभिन्न विभागों के बैंक खातों से राशि अवैध ढंग से सृजन महिला विकास सहयोग समिति के खाते में ट्रांसफर की गई
6 डीएम, 8 डीडीसी, 4 जिला कल्याण पदाधिकारी और 4 जिला भू अर्जन पदाधिकारी के कार्यकाल के दौरान राशि की हेराफेरी
2 एजेंसी सीबीआई और ईडी कर रही है जांच
26 प्राथमिकी इस घोटाले में दर्ज की जा चुकी है
44 से अधिक अफसर व कर्मियों को आरोपी बनाया गया
150 से अधिक अफसर और कर्मियों से पूछताछ की गई है
23 संपत्ति की खरीद बिक्री पर रोक है और 14 से अधिक लोगों की संपत्ति की जा चुकी है ज़ब्त
3 मुख्य आरोपी को भगोड़ा घोषित किया गया
15 से अधिक आरोपियों में से ज्यादातर जेल से जमानत पर बाहर आ चुके हैं
1 अफसर पूर्व जिला कल्याण पदाधिकारी अरुण कुमार और पूर्व नाजिर महेश मंडल की हो चुकी है मौत