दोषी कर्मी राकेश रंजन को तत्काल अगले आदेश तक काम करने से रोकने और विभाग में प्रवेश करने से वंचित रखने का कुलपति ने दिए आदेश
भागलपुर। टीएमबीयू के पीजी बायोइनफार्मेटिक्स विभाग के एक कर्मी द्वारा कुलपति या किसी अन्य सक्षम अधिकारी की अनुमति के बगैर सत्र 2025-2026 के लिए पीजीडीसीए कोर्स के लिए नामांकन संबंधी शेड्यूल जारी करने का मामला प्रकाश में आने पर कुलपति प्रो. जवाहर लाल ने सख़्ती दिखाते हुए विश्वविद्यालय अधिकारियों की आपात ऑनलाइन बैठक कर विज्ञापन और सूचना जारी करने वाले विभाग के राकेश रंजन को अगले आदेश तक कार्य करने से रोकने और विभाग में प्रवेश करने से वंचित करने का आदेश रजिस्ट्रार को दिए। कुलपति प्रो. जवाहर लाल ने कहा कि बिना उनकी अनुमति के पीजीडीसीए में नामांकन का विज्ञापन व सूचना जारी करना उक्त कर्मी की अनुशासनहीनता, मनमानी और स्वच्छधारिता को दर्शाता है। विभाग के राकेश रंजन नामक व्यक्ति का यह कृत्य गैर कानूनी और संगीन भी है। राकेश ने विभाग के डायरेक्टर के आदेश की भी अवहेलना की है। निदेशक ने नामांकन संबंधी पत्र में स्पष्ट लिखा था की विश्वविद्यालय की स्वीकृति के बाद ही इसे प्रकाशित किया जाना चाहिए। कर्मी ने उस सूचना को बिना अनुमति क विश्वविद्यालय के वेबसाइट पर भी अपलोड करवा दिया। गलत तरीके से निकाले गए विज्ञापन में नामांकन की अंतिम तिथि 31 जुलाई लिखा गया है।
कर्मी से पूछा गया स्पष्टीकरण
ज़ब मामला प्रकाश में आया तो यूडीसीए के डायरेक्टर प्रो. निसार अहमद ने मामले में उक्त कर्मी से तुरंत स्पष्टीकरण भी पूछा। हालांकि स्पष्टीकरण का जवाब अभी तक नहीं दिया गया है। कुलपति ने प्रथम दृष्टिया दोषी पाए गए कर्मी राकेश रंजन के अलावे नोटिस को सर्कुलेट करने वाले दूसरे कर्मी पर भी कार्रवाई करने के आदेश दिए। वीसी ने फाइल की जाँच करने के भी आदेश दिए। उन्होंने कहा की विश्वविद्यालय की स्वीकृति के बाद ही किसी भी तरह की सूचना या विज्ञापन प्रकाशित होनी चाहिए। लेकिन विभाग के कर्मी ने नियम का पालन नहीं किया। उन्होंने कहा कि अगर जाँच में मामला गंभीर निकला तो दोषी पर कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है। नियम और परिनियम को ताक पर रखकर काम करने वालों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा। दोषियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी। विश्वविद्यालय प्रशासन की अनुमति के बिना इस तरह के गैर कानूनी काम से छवि धूमिल होती है। इस तरह के गलत कार्य से छात्रों क बीच भ्रम की भी स्थति उत्पन्न होती है।
कुलपति ने छात्रों से की अपील, पीजीडीसीए के लिए नहीं करें कोई भी छात्र आवेदन
कुलपति ने छात्रों से अपील की है की वे बायोइनफार्मेटिक्स विभाग की ओर से कुलपति की अनुमति के बिना पीजीडीसीए कोर्स में नामांकन के लिए निकाले गए विज्ञापन व सूचना पर आवेदन नहीं करें और न ही इसके झांसे में आएं। क्योकि नामांकन संबंधी संचिका पर कुलपति का आदेश प्राप्त नहीं है। कुलपति ने पूरे मामले में कोर्स डायरेक्टर प्रो. एचके चौरसिया और यूडीसीए के डायरेक्टर से जानकारी ली है। कर्मी द्वारा जारी किये गए विज्ञापन सूचना की प्रतिलिपि डीएसडब्लू और यूडीसीए डायरेक्टर को भी दिया है। वोकेशनल कोर्स होने के वाबजूद भी इस मामले में सीसीडीसी तक को जानकारी नहीं दी गई।
कुलपति ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल नामांकन संबंधी उक्त सूचना को वेबसाइट से हटाने के आदेश दिए। इधर कुलपति ने उक्त कर्मी के विभाग में प्रवेश से वंचित करने और विभाग की फाइलों की सुरक्षा के लिए सामंता गार्ड को निरंतर निगरानी करने के आदेश दिए। ऑनलाइन बैठक में डीएसडब्लू प्रो. बिजेंद्र कुमार, रजिस्ट्रार प्रो. रामाशीष पूर्वे, प्रॉक्टर प्रो. अर्चना कुमारी साह, यूडीसीए डायरेक्टर प्रो. नेसार अहमद, सीसीडीसी डॉ एसी घोष, पीआरओ डॉ दीपक कुमार दिनकर आदि ने भाग लिया।