चम्पारण। तुषार गाँधी के साथ एक ऐसी घटना घटी, जिससे लोकतंत्र पर बहस एक बार फिर से तेज होने की सम्भावना है। दरअसल, देश के राष्टपिता महात्मा गाँधी ने बिहार के चम्पारण की जिस धरती से सत्याग्रह की नींव रखी थी , वही उनके पड़पोते तुषार गांधी के साथ बदसलूकी की गयी। रविवार को चम्पारण के तुरकौलिया में एक कार्यक्रम के दौरान वहां के मुखिया ने तुषार गांधी के साथ बदसलूकी की और उन्हें सभा से बाहर जाने को कह दिया. विवाद के पीछे की कहानी कुछ यूँ है की तुषार के साथ आए एक वक्ता ने सभा को सम्बोधित करते हुए महागठबंधन को वोट देने की अपील की. इसके साथ ही विवाद शुरू हो गया। जानकारी के मुताबिक 12 जुलाई से पश्चिम चंपारण के भितिहरवा आश्रम से पदयात्रा पर निकले तुषार गांधी रविवार को वे तुरकौलिया पहुंचे। बटन दें कि जिस जगह पर 1917 में बापू ने किसानों की सभा को सम्बोधित किया था और मलोगों की व्यथा भी सुनी थी, उसी जगह पर तुषार गाँधी की सभा चल रही थी, वहां के वर्षों पुराने नीम के पेड़ को भी तुषार गाँधी ने देखा। सभा के दौरान एक वक्त ने महागठबंधन को वोट डालने की अपील कर दी , इसके साथ ही विवाद शुरू हो गया. महागठबंधन के प्रत्याशी को वोट डालने की अपील पर मुखिया विनय सिंह भड़क उठे। मुखिया ने तुषार गांधी के साथ बदसलूकी की और उन्हें सभा से बाहर जाने को कहने लगे. इससे तुषार गांधी भी भड़क गए। उन्होंने कहा- आप शांति और तमीज से बात कीजिये। इसके बाद दोनों के बीच बहस होने लगी. मामला बिगड़ता देखकर स्थानीय लोगों ने समझा बुझा कर मामला शांत कराया। इसके साथ ही स्थानीय लोगों ने मुखिया के व्यवहार की नींदा की।

बापू ने चम्पारण की जिस धरती पर सत्याग्रह की नींव रखी थी, वहीं उनके पड़पोते से बदसलूकी, सभा से बाहर जाने को कहा, महागठबंधन को वोट देने की अपील से विवाद

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