कहलगांव। मत्स्य किसान दिवस के अवसर पर कहलगांव के कागजी टोला में नरेश सहनी की अध्यक्षता में पारंपरिक मछुओं की बैठक हुई . बैठक का संचालन वार्ड पार्षद सह मत्स्यजीवी जल श्रमिक संघ के प्रांतीय संयोजक योगेंद्र सहनी ने किया . मत्स्य किसान दिवस का आयोजन परिधि की ओर गंगा मुक्ति आंदोलन और जल श्रमिक संघ ने किया है . परिधि के निदेशक उदय ने कहा कि नीली क्रांति में भारत कभी पहला तो कभी दूसरे स्थान पर रहता है . दुर्भाग्य ये है कि नदियां जो प्राकृतिक जल श्रोत है ,और जहां मछलियां स्वाभाविक रूप से पलती हैं उसपर सरकार का ध्यान नहीं है. कितनी विडंबना है कि नदियों पर आश्रित पारंपरिक मछुओं की आजीविका समाप्त हो रही है और हमारा मत्स्य उत्पादन बढ़ रहा है . पारंपरिक मछुओं को अलग से प्रशिक्षण देने की कोई आवश्यकता नहीं है . नदियों के किनारे या नदियों के बीच छाड़न का उपयोग वैकल्पिक मत्स्य पालन के लिए किया जा सकता है और इससे पारंपरिक मछुओं की आजीविका सुनिश्चित की जा सकती है .
वरिष्ठ साथी अनिरुद्ध ने कहा कि नदियों को बचाकर पारंपरिक मछुओं की आजीविका बचाना और मरती नदी के किनारों और जमीन का वैकल्पिक मत्स्य पालन के लिए इस्तेमाल कर दोहरी प्रक्रिया चलाई जा सकती है . संचालन करते हुए योगेंद्र सहनी ने कहा कि बिहार में 1991 में जो मुफ्त मछली पकड़ने का अधिकार मछुओं को मिला था उसे भी वर्तमान बिहार सरकार ने चालाकी से छीन लिया है . मछुओं के बीच इस सरकार के खिलाफ जबरदस्त गुस्सा है .

इस कार्यक्रम में तय किया गया कि 2 अगस्त को व्यापक रणनीति बनाने हेतु भागलपुर के पेंशनर समाज के हॉल में गंगा मुक्ति आंदोलन का सम्मलेन होगा जिसमें कागजी टोला एवं जिले के अन्य हिस्सों से मछुओं की भागीदारी होगी . 18 जुलाई को तुषार गांधी के आगमन पर भी भागलपुर में कार्यक्रम आयोजित है जिसका सह आयोजक गंगा मुक्ति आंदोलन भी है ,इस कार्यक्रम में भी कहलगांव के मछुओं की भागीदारी होगी . बैठक में यह तय किया गया कि निःशुल्क शिकारमाही के अधिकार को हम खत्म नहीं होने देंगे और व्यापक आंदोलन छेड़ेंगे . आगामी चुनाव में निःशुल्क शिकारमाही के अधिकार को छीनने वालों को हम सब मिलकर सबक सिखाएंगे . जय नारायण ने कहा कि चुनाव आयोग द्वारा वोटर लिस्ट में विशेष गहन पुनरीक्षण को वापस लेने की मांग भी की गई और यह भी कहा गया कि इससे बहुत सारे मछुओं का नाम काट दिया जायेगा और फिर उसका राशन आदि अन्य सुविधाएं भी बंद की जाएंगी .
बिरजू सहनी ने कहा कि सरकार अगर इसे करना ही चाहती है तो आधार कार्ड और राशन कार्ड को पहचान के रूप में स्वीकार करे और अद्यतन वोटर लिस्ट को आधार बनाकर जांच करे .इस मौके पर मक्खातकिया में भी समुदाय बैठक हुई। जिसमें रामदेव प्रसाद सिंह, सिकंदर सिंह, छत्तीस प्रसद सिंह, प्रदीप कुमार सिंह, राजेश सहनी, मुकेश सिंह, राजेंद्र सहनी , प्रहलाद सहनी , सुबोध सहनी , नील किशुन सहनी , सत्यनारायण सहनी आदि में महत्वपूर्ण सुझाव रखे।