न्यूज़ स्कैन ब्यूरो, पटना
बिहार की राजनीति में एक बार फिर मोकामा चर्चा में है। यहां इस बार भी मुकाबला दो बाहुबलियों के बीच सिमटता दिख रहा है। एक ओर हैं जेडीयू के बाहुबली नेता अनंत सिंह और दूसरी ओर आरजेडी के नए साथी सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी, जो इस बार तेजस्वी यादव के भरोसे मैदान में उतारी गई हैं।
एलजेपी छोड़कर आरजेडी में आए सूरजभान
पूर्व सांसद सूरजभान सिंह ने पशुपति पारस की लोक जनशक्ति पार्टी से इस्तीफ़ा देकर आरजेडी का दामन थाम लिया है। उन्होंने एलजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और प्राथमिक सदस्यता दोनों से त्यागपत्र दिया और इसके बाद तेजस्वी यादव से मुलाकात कर आरजेडी में औपचारिक रूप से शामिल हो गए। तेजस्वी यादव ने सूरजभान की पत्नी वीणा देवी को इस सीट से
आरजेडी का उम्मीदवार घोषित किया है। इसका सीधा मतलब है कि आरजेडी ने मोकामा की लड़ाई में ‘सूरजभान फैक्टर’ को दांव पर लगा दिया है।
फिर इस सीट पर होगा हाई प्रोफाइल संग्राम
यह सीट हमेशा से बिहार की सबसे दिलचस्प और हाई-प्रोफाइल विधानसभा सीटों में रही है। यहां सत्ता की लड़ाई अक्सर बाहुबली नेताओं के इर्द-गिर्द घूमती रही है। 2015 में अनंत सिंह ने इस सीट से जीत दर्ज की थी। जबकि 2020 में वे निर्दलीय के रूप में मैदान में उतरे और बाद में जेडीयू में शामिल हो गए।
अब 2025 के चुनाव में आरजेडी की ओर से वीणा देवी और जेडीयू की ओर से अनंत सिंह के बीच आमने-सामने की भिड़ंत तय मानी जा रही है।
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, यह लड़ाई सिर्फ़ “दो प्रत्याशियों” की नहीं, बल्कि दो बाहुबली घरानों की प्रतिष्ठा का सवाल बन चुकी है।
तेजस्वी की रणनीति अनंत का किला भेदने की
आरजेडी की रणनीति साफ है। तेजस्वी यादव इस बार यहां अनंत सिंह के किले को भेदना चाहते हैं।
इसके लिए उन्होंने सूरजभान सिंह जैसे ताक़तवर नेता को अपने पाले में लाकर सामाजिक समीकरण का नया संतुलन बनाया है।
सूरजभान की पकड़ मोकामा, लखीसराय और बेगूसराय बेल्ट में मजबूत मानी जाती है। वीणा देवी को उम्मीदवार बनाकर तेजस्वी ने जातीय और स्थानीय दोनों समीकरण साधने की कोशिश की है।