धनतेरस अर्थात धन्वंतरि जयंती, 18 अक्टूबर को धनतेरस

न्यूज स्कैन ब्यूरो, सुपौल

धनतेरस कार्तिकमास कृष्णपक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है। 18 अक्टूबर को संध्या काल सभी लोग विभिन्न प्रकार के वस्तुओ की खरीददारी करते है ।इस दिन चांदी के बर्तन, लक्ष्मी गणेश जी की प्रतिमा खरीदने का भी विधान है। सायं काल में यमराज के निमित्त दीप दान करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है। धनतेरस के दिन भगवान कुबेर की भी पूजा की जाती है। इस बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी देते हुए त्रिलोक धाम गोसपुर निवासी पंडित आचार्य धर्मेंद्रनाथ मिश्र ने बताया कि इस दिन कुबेर का पूजन करने से भगवान कुबेर अति प्रसन्न होकर समस्त भक्तों पर सदा धन की कृपा बना बनाते हैं। सायंकाल में यमराज के निमित्त दीपदान करने से अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है। धनतेरस के दिन धन किसी को भी उधार नहीं देना चाहिए ।सायं काल में घर के मुख्य द्वार पर दीपदान करने से यमराज अति प्रसन्न होते हैं ।धन्वंतरी भगवान की कथा धर्मशास्त्र में वर्णित है ।सागर मंथन के समय में कार्तिक कृष्ण पक्ष त्रयोदशी के दिन भगवान विष्णु ने धनवंतरी के रूप में अवतरित होकर देवताओं को अमृत कलश प्रदान किया एवं जगत के कल्याण के लिए आयुर्वेद का ज्ञान भगवान शिव से प्राप्त कर संसार को प्रदान किया। इसी याद में धनतेरस पर्व पर भगवान धन्वंतरि देव की पूजा की जाती है। भगवान धन्वंतरि की पूजा करने से स्वास्थ्य अनुकूल होता है।