न्यूज स्कैन ब्यूरो, पूर्णिया
देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) के खिलाफ असम्मानजनक टिप्पणी पर पूर्णिया के शिक्षाविद राजेश मिश्रा ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि “भारत के मुख्य न्यायाधीश केवल एक व्यक्ति नहीं हैं, बल्कि वे संविधान का प्रतीक हैं। उनके सम्मान पर हमला, संविधान, स्वतंत्रता सेनानियों और राष्ट्र निर्माताओं के आदर्शों पर हमला है।”
विद्या विहार स्कूल के सेक्रेटरी व प्रख्यात शिक्षाविद श्री मिश्रा ने कहा कि “जो लोग इस तरह के कृत्य में शामिल हैं या उसका बचाव कर रहे हैं, उन्हें कानून के दायरे में लाया जाना चाहिए। किसी को, यहाँ तक कि सीजेआई को भी, अपने पद की गरिमा पर हुए हमले को माफ करने का अधिकार नहीं है।” श्री मिश्रा ने अपने बयान में एडवोकेट राकेश किशोर की हरकत को “लोकतंत्र की आत्मा पर चोट” बताया और कहा कि यह केवल एक व्यक्ति नहीं, बल्कि पूरे न्यायिक तंत्र की गरिमा पर आघात है।
उन्होंने आगे कहा कि, “जब न्यायपालिका की सर्वोच्च कुर्सी पर हमला होता है, तब मौन रहना भी अपराध है। ऐसे समय में देश के हर नागरिक को न्याय व्यवस्था और उसके प्रतिनिधियों के सम्मान में खड़ा होना चाहिए। सहमत हूं कि पद पर बैठा व्यक्ति इंसान है लेकिन हमारी लोकतंत्र की असली ताकत इसी में है कि हम व्यक्ति और पद में फर्क करते हैं। उनके निर्णयों पर बहस कीजिए, विचारों पर सवाल उठाइए… यही तो आजादी है। समझना यह भी होगा कि न्याय के प्रतीक पर हमले का मतलब है उस नींव को कमजोर करने की कोशिश जो हर नागरिक की सुरक्षा का भरोसा है।”
सीजेआई का अपमान संविधान का अपमान है – शिक्षाविद राजेश मिश्रा
