न्यूज स्कैन ब्यूरो सुपौल
भारतीय संस्कृति में औषधीय पौधों का विशेष महत्व रहा है। आयुर्वेद में वर्णित अनेक पौधे जैसे अश्वगंधा, नीम, एलोवेरा, लैवेंडर, गुल बकावली, गुड़मार, शमी एवं आंवला हमारे स्वास्थ्य, पर्यावरण और जीवनशैली को संतुलित एवं स्वस्थ बनाए रखने में सहायक हैं। इन पौधों की वाटिका न केवल प्राकृतिक चिकित्सा का साधन है, बल्कि समाज में औषधीय चेतना जागृत करने का भी एक सशक्त माध्यम है। सोमवार को 45 वी वाहिनी के परिसर में किया गया हर्बल वाटिका का रोपण किया गया।लगाये गए औषधीय पौधों का विवरण एवं लाभ अश्वगंधा (Ashwagandha)
शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।
तनाव, थकान और अनिद्रा में लाभकारी।
ऊर्जा एवं शक्ति में वृद्धि करता है।
नीम (Neem) एंटीबैक्टीरियल एवं एंटीवायरल गुणों से भरपूर। त्वचा रोग, दांत व मसूड़ों की बीमारियों में उपयोगी। रक्त को शुद्ध करता है। एलोवेरा (Aloe Vera) त्वचा एवं बालों के लिए उत्तम औषधि।
पाचन तंत्र को दुरुस्त करता है।
जलन, घाव और संक्रमण में लाभकारी। लैवेंडर (Lavender)
इसकी सुगंध मानसिक शांति प्रदान करती है।
अनिद्रा एवं तनाव कम करने में सहायक।
त्वचा की जलन और कीटाणुओं से रक्षा करता है। गुल बकावली (Gul Bakawali)
आंखों की रोशनी बढ़ाने में सहायक (आयुर्वेदिक मान्यता)।
त्वचा के रोगों में प्रयोग।
वात व पित्त दोष को संतुलित करता है। गुड़मार (Gudmar)
मधुमेह नियंत्रण में अत्यंत प्रभावी।
भूख एवं पाचन क्रिया को संतुलित करता है।
शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने में सहायक।
शमी (Shami Plant)
धार्मिक एवं औषधीय महत्व वाला पौधा।
वात व कफ दोष निवारण में उपयोगी।
वायुप्रदोष (गैस आदि) के उपचार में सहायक।आंवला (Amla)
विटामिन “C” का सर्वोत्तम स्रोत।
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।
बाल, आंख और पाचन के लिए लाभकारी।
इस दौरान गौरव सिंह कमांडेंट, नरेश कुमार कमांडेंट मेडिकल , जगदीश कुमार शर्मा द्वितीय कमान अधिकारी, सुमन सौरभ उप कमांडेंट , हरजीत राव उप कमांडेंट एवं अन्य बालकर्मी उपस्थित रहे।