न्यूज स्कैन ब्यूरो, सुपौल
बिहार का सुपौल जिला आबादी और सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होने के बावजूद रेलवे विकास की मुख्यधारा से अब तक दूर रहा है। लगभग 33 लाख की आबादी वाला यह जिला कोसी प्रमंडल का सबसे बड़ा जिला है। बड़ी संख्या में लोग रोजगार के लिए पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र समेत देशभर में रहते हैं और पर्व-त्योहार पर ही घर लौटते हैं। ऐसे अवसरों पर यात्री संख्या बढ़ जाती है, लेकिन सीमित रेल सुविधाओं के कारण भारी असुविधा होती है।
पिछले 5 महीने से वैशाली एक्सप्रेस ललितग्राम से स्पेशल ट्रेन के रूप में चल रही है, लेकिन इसका स्थाई विस्तार अब तक नहीं हुआ है। स्थानीय लोग मांग कर रहे हैं कि इसे जल्द स्थाई ट्रेन का दर्जा दिया जाए, ताकि जिलेवासियों राजधानी दिल्ली से नियमित और सीधा कनेक्टिविटी मिल सके।
वर्तमान में दिल्ली, पंजाब, गुजरात और महाराष्ट्र से चलने वाली पूजा स्पेशल ट्रेनें केवल सहरसा या दरभंगा तक ही आती हैं। यदि इन ट्रेनों को ललितग्राम तक बढ़ाया जाए, तो सुपौल जिला सहित कोसी–सीमांचल क्षेत्र की बड़ी आबादी को सीधे लाभ मिल सकता है। रेलवे द्वारा चलाई जा रही अमृतसर- सहरसा आरक्षित द्विसाप्ताहिक स्पेशल (04618/17) एवं सरहिंद -सहरसा आरक्षित आरक्षित द्विसाप्ताहिक स्पेशल ट्रेन (04508/07) का परिचालन क्रमशः 23 सितम्बर और 22 सितंबर से चल रही है। इन ट्रेनों को भी ललितग्राम तक बढ़ा दिया जाय तो सुपौल जिले के यात्रियों को वास्तविक लाभ मिल सकेगा।
सुपौल रेल संघर्ष समिति के संयोजक पवन अग्रवाल ने बताया जहां बिहार के अन्य जिलों को नियमित सुपरफास्ट और एक्सप्रेस ट्रेनें मिल रही हैं, वहीं सुपौल से लंबी दूरी की सुपरफास्ट ट्रेन नहीं चल पाई है। नेपाल सीमा से सटा होने के कारण यह जिला सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। लोगों का मानना है कि वैशाली एक्सप्रेस का स्थाई विस्तार और पूजा स्पेशल ट्रेनों का ललितग्राम तक परिचालन होने पर सुपौल रेलवे मानचित्र में मुख्यधारा में आ जाएगा और कोसी–सीमांचल की बड़ी आबादी सीधे रेलवे विकास से जुड़ सकेगी।