न्यूज स्कैन ब्यूरो, सुपौल
आदि शक्ति मां दुर्गा का पंचम रूपांतर श्री स्कंद माता है। श्री स्कंद (कुमार कार्तिकेय )की माता होने के कारण इन्हें स्कंद माता कहा जाता है। नवरात्रि के पंचम दिन इनकी पूजा और आराधना की जाती है ।यह कहना है पंडित आचार्य धर्मेंद्रनाथ मिश्र का। उन्होंने पंचम दिवस की पूजा के महत्व पर बताते हुए कहा कि, पंचम दिन साधक को अपना चित्र विशुद्धि चक्र पर स्थिर करके साधना करनी चाहिए ।श्री स्कंदमाता की आराधना से विशुद्धि चक्र के जाग्रत होने वाले सिद्धियां स्वतः प्राप्त हो जाती है। इस मृत्यु लोक में ही उसे परम शांति और सुख का अनुभव होने लगता है। उनके लिए मोक्ष का द्वार स्वयं सुलभ हो जाता है। श्री स्कंद माता की उपासना से बाल रूप स्कंद भगवान की उपासना भी स्वयमेव हो जाती है ।यह विशेषता केवल इन्ही को प्राप्त है। अतः साधक उपासक को श्री स्कंद माता की पूजा में विशेष ध्यान देकर नियम से पूजा अर्चना करनी चाहिए उनके पूजन से सभी मनवांछित फलों की प्राप्ति हो जाती है।
कन्या पूजन से होती है धन धान्य की प्राप्ति
शारदीय नवरात्रि के अवसर पर अक्सर सभी घरों में एवं मंदिरों में पूजन के अंतर्गत नवरात्रि के मध्य अष्टमी और नवमी को कुमारी कन्याओं का पूजन और प्रसाद ग्रहण कराया जाता है। इसके पीछे बहुत बड़ा रहस्य छुपा हुआ है । हम आप सभी जानते हैं कि, कुमारी कन्या का पूजन होने पर सभी कान्याओं का नाम शास्त्रों में अलग अलग बताया गया है। आइए जानते हैं अलग अलग कान्याओं के नाम।पूजा विधि में 1 वर्ष की अवस्था वाली कन्याओं को नहीं ग्रहण करनी चाहिए। क्योंकि एक वर्ष की अवस्था वाली कन्या किसी भी प्रकार के गंध और स्वाद से वह अनभिज्ञ रहती हैं। कम से कम 2 वर्ष की कन्या ही कुमारी कहलाती है। 3 वर्ष की कन्या त्रिमूर्ति, 4 वर्ष की कन्या को कल्याणी कहा जाता है ।5 वर्ष की अवस्था वाली का नाम रोहिणी है, एवं 6 वर्ष की कन्या कालिका कहलाती है।7 वर्ष की चंडिका, 8 वर्ष की शांभवी 9 वर्ष वाली को दुर्गा और 10 वर्ष वाली को सुभद्रा कहा गया है। पुराणों के अंतर्गत इससे ऊपर की अवस्था वाली कन्याओं का पूजन निषेध माना गया है। अब फल बताते हुए पंडित आचार्य धर्मेंद्रनाथ मिश्र ने बताया कि दुख दारिद्र कोके नास हेतु कुमारी यानी 2 वर्ष की कन्या का पूजा करें ।त्रिमूर्ति की पूजन से चार सिद्धि धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है एवं धन-धान्य की समृद्धि होती है। कल्याणी की पूजन से ऐश्वर्य जश की प्राप्ति होती है। कालिका की पूजन से शत्रु शांत होते है ।चंडिका कुमारी की पूजन से समस्त सिद्धि की प्राप्ति होती है। संग्राम में विजय हेतु शांभवी की पूजन तथा दुर्गा नाम के कुमारी पूजन से समस्त प्रकार की अभीष्ट सिद्धि की प्राप्ति होती है ।इस तरह के पूजन से इह लौकिक एवं पारलौकिक सिद्धि की प्राप्ति अवश्य हो जाती है। अतः सभी भक्तों को कुमारी कन्याओं का पूजन अवश्य ही करनी चाहिए।