न्यूज स्कैन रिपाेर्टर, भागलपुर
सैंडिस कंपाउंड में अब सांस लेना भी सस्ता नहीं रहा। भागलपुर स्मार्ट सिटी और नगर निगम के एक फैसले ने शहरवासियों की दिमागी शांति और जेब दोनों पर चोट की है। शहर के सबसे प्रमुख सार्वजनिक स्थल सैंडिस कंपाउंड में प्रवेश शुल्क लगाने के खिलाफ अब आवाज़ें बुलंद होने लगी हैं।
समाजिक संगठनों की समन्वय समिति ने इस फैसले को सीधा-सीधा जन विरोधी और शोषणकारी करार दिया है। समिति का कहना है कि जहां एक ओर यह स्थान हजारों लोगों के लिए सुबह-शाम की सेहत का केंद्र रहा है, वहीं अब इसे पैसे के तराजू में तोला जा रहा है।
“यह विकास नहीं, दोहन है”, समिति के संयोजक प्रकाश चंद्र गुप्ता ने दो टूक कहा। उन्होंने यह भी जोड़ा कि बच्चों, बुज़ुर्गों, महिलाओं और छात्रों के लिए यह मैदान जीवनदायिनी हवा और हरियाली का अंतिम सहारा है। उस पर भी शुल्क थोपना, जनता की तकलीफों से बेख़बर नीति का परिचायक है।
नेताओं की चुप्पी पर सवाल
समिति ने यह भी सवाल उठाया कि शहर के जनप्रतिनिधि इस फैसले पर क्यों मौन साधे बैठे हैं? क्या उनका काम सिर्फ चुनावों के वक़्त वोट मांगना और भाषण देना भर रह गया है?
आंदोलन की चेतावनी
समन्वय समिति ने साफ़ चेतावनी दी है कि अगर सैंडिस कंपाउंड में लगाया गया प्रवेश शुल्क तुरंत वापस नहीं लिया गया, तो समिति चरणबद्ध आंदोलन शुरू करेगी। इसकी पूर्ण जवाबदेही स्मार्ट सिटी प्रशासन और नगर निगम की होगी।
प्रेस वार्ता के दौरान कई प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता और बुद्धिजीवी उपस्थित रहे, जिनमें शामिल थे –
डॉ. मनोज कुमार, डॉ. उमेश प्रसाद नीरज, मो. ऐनुल होदा, डॉ. सुनील अग्रवाल, संजय कुमार, मो. तकी अहमद जावेद, वासुदेव भाई, कुमार संतोष, मिंटू कलाकार, इंजीनियर अमन कुमार सिंहा, अनीता शर्मा, वीणा सिन्हा, मो. शहबाज, जीनी हमिदि, दाउद अली अजीज, राज कुमार, प्यारी देवी सहित अन्य लोग।