बिहपुर में माता रानी मंदिर: 150 सालों से शक्ति और आस्था का अडिग केंद्र, हजारों भक्तों की हर मुराद होती है पूरी

लवकुश सिंह बंटी, बिहपुर

मड़वा गांव के पुवारी टोला स्थित माता रानी मंदिर का इतिहास डेढ़ सौ वर्षों से भी अधिक पुराना है। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर की स्थापना स्व. नेबालाल राय ने की थी। मंदिर में स्थापित देवी की प्रतिमा बारहों मास भक्तों के दर्शन के लिए उपलब्ध रहती है, और लोग प्रतिदिन पूजा-अर्चना के लिए यहां आते हैं।
मंदिर की विशेषता यह है कि पूजा-बांग्ला वैदिक विधि से होती है, लेकिन पारंपरिक रूप से अष्टमी के दिन बकरे की बलि भी दी जाती है। इसके साथ ही निश बलि की परंपरा सालभर चलती रहती है। मंदिर के पुजारी और आचार्य पप्पू राय के अनुसार, मातारानी के दरबार में मांगी गई हर मुराद पूरी होती है। दूसरी ओर, पुजारी सिटू झा बताते हैं कि प्रतिवर्ष लगभग ढाई सौ बलियां दी जाती हैं। इसके अलावा, मुंडन संस्कार और संकल्प लेने वालों की संख्या हजारों में होती है।
ग्रामीण अरुण सनगही के अनुसार, नवरात्रि और विशेषकर अष्टमी के दिन श्रद्धालुओं की भारी भीड़ इस मंदिर में उमड़ती है। आसपास के गांवों के लोग अपने परिजनों के साथ यहां पहुंचते हैं और देवी को प्रसन्न करने के लिए विशेष पूजा करते हैं। मंदिर प्रांगण में भजन-कीर्तन और धार्मिक आयोजन भी आयोजित किए जाते हैं, जिनमें महिलाएं और पुरुष बड़ी संख्या में शामिल होते हैं।
मंदिर की प्राचीनता और धार्मिक महत्व के कारण यह स्थान स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए भी सहायक है। यहां आने वाले श्रद्धालुओं से स्थानीय दुकानदारों को रोज़गार मिलता है। मातारानी मंदिर आज भी सामाजिक एकता और सांस्कृतिक परंपराओं को जीवित रखने में बड़ी भूमिका निभा रहा है और इसे क्षेत्र के लोग अपनी आस्था का केंद्र मानते हैं।

शारदीय नवरात्रि पूजा विवरण (2025)

21.09.2025: महालया
22.09.2025: नवरात्र प्रारंभ, कलश स्थापना, शैलपुत्री की पूजा
23.09.2025: ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा
24.09.2025: चन्द्रघंटा स्वरूप की पूजा
25.09.2025: कुष्मांडा स्वरूप की पूजा
26.09.2025: शून्य
27.09.2025: स्कंदमाता स्वरूप की पूजा
28.09.2025: कात्यायनी स्वरूप, विल्वाभिमंत्रण व गज पूजा
29.09.2025: कालरात्रि स्वरूप, सरस्वती पूजन, नवपत्रिका प्रवेश, अष्टमी व निशारात्रि पूजन
30.09.2025: महागौरी स्वरूप, संधि पूजा, महाष्टमी व्रत व दीक्षा ग्रहण
1.10.2025: सिद्धिदात्री स्वरूप, त्रिशूलनी पूजा, बलिदान एवं हवन
2.10.2025: विजयदशमी, अपराजिता पूजा एवं कलश व नवपत्रिका विसर्जन।

ग्रामीण सुमीत चौधरी, मुकेश मंडल, सिटू चौधरी और बिहपुर राम जानकी ठाकुरबाड़ी के महंत नवल किशोर दास की जानकारी के अनुसार यह मंदिर न केवल ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह क्षेत्र में आस्था, सांस्कृतिक परंपराओं और सामाजिक एकता का प्रमुख केंद्र भी है।