- पीरपैंती की लाल मिट्टी ने मचाया राजनीतिक बवाल: मुल्तानी मिट्टी के बहाने मिट्टी में मिलती सियासत
प्रदीप विद्रोही, भागलपुर
जिले के पीरपैंती विधानसभा क्षेत्र की राजनीति इन दिनों गर्म है। लेकिन वजह कोई घोटाला या चुनावी वादा नहीं, बल्कि एक मुट्ठी मिट्टी है और वो भी माथे की! हुआ यूं कि बीते सोमवार को जब प्रधानमंत्री द्वारा बिहार के सबसे बड़े थर्मल पावर प्रोजेक्ट का वर्चुअल शिलान्यास हुआ, तब मंच पर मौजूद भाजपा विधायक ई. ललन कुमार ने अपने अंदाज़ में एक नया ‘राजनीतिक स्टंट’ पेश कर दिया।
उन्होंने जेब से रुमाल निकाला, उसमें रखी एक खास किस्म की मिट्टी को कालीन यानी मंच पर फैलाया और पूरे भावुक अंदाज़ में उसे माथे पर लगा लिया। कैमरों की क्लिक-क्लिक शुरू हो गई। इस घटना के दो-चार घंटे बाद, यानी रात ढलते-ढलते जो सवाल उठने लगे, वे मानो पहले से ही तयशुदा लगने लगे।फिर वही सवाल कौंधा… सब कुछ बहुत फटाफट।

मुल्तानी मिट्टी के बहाने मिट्टी में मिलती सियासत,
पीरपैंती की लाल मिट्टी ने मचाया राजनीतिक बवाल!
विधायक जी बोले जब चुनाव जीता था, तो इसी मिट्टी को माथे पर लगाकर कसम खाई थी कि पीरपैंती को विकास की ऊंचाई तक ले जाऊंगा।
आज फिर उसी मिट्टी को माथे से लगाकर संकल्प दोहरा रहा हूं। पीरपैंती को इंडस्ट्री का नया हब बनाएंगे, पलायन रोकेंगे, खुशहाली लाएंगे,
और इसे बिहार की सबसे बेस्ट विधानसभा बनाएंगे।
इस नए संकल्प के साथ, नई ऊर्जा के साथ, फिर से अपनी सेवा में लगने जा रहा हूं। भावनात्मक डायलॉग, तालियों की गड़गड़ाहट, कैमरे की फ्लैश… सब कुछ बिल्कुल फिल्मी सीन जैसा। लेकिन जैसे ही यह वीडियो वायरल हुआ, सोशल मीडिया पर सवालों की बौछार शुरू हो गई और यह राजनीतिक बवाल थमता नहीं दिख रहा। चौंकाने वाली बात यह कि विधायक के अपने घर के लोग भी इस क्षण को “नाटक” कहने से गुरेज नहीं कर रहे!

सवाल उठे – ये मिट्टी कहां की है, विधायक जी
वीडियो वायरल होते ही सोशल मीडिया (एक्स) पर भाजपा समर्थकों समेत स्थानीय लोगों ने सवाल उठाया जब पीरपैंती की मिट्टी लाल है, तो विधायक जी के माथे पर ये मुलायम, पीली-सी मुल्तानी मिट्टी कहां से आ गई।
कुछ लोगों ने इसे मंचित ड्रामा करार देते हुए कहा: यह सब झूठी सहानुभूति और सियासी नौटंकी बटोरने का तरीका है। वहीं, सोशल मीडिया पर ही स्थानीय भाजपाइयों ने चुटकी ली। विकास की नींव रखने आए हैं या स्किनकेयर का प्रचार करने?
मुल्तानी मिट्टी तो चेहरे को चमकाने के लिए होती है, विधायक जी। फिर माथे पर कौन-सी मिट्टी है।

मिट्टी में दबे पुराने किस्से भी उखड़े
यह पहला मौका नहीं है जब भाजपा विधायक ललन कुमार ने मंच पर भावनात्मक हथियार के रूप में कुछ नया प्रयोग किया हो। इससे पहले भी वे… कोरोना के दौरान क्रिकेट खेलने,.मेले में भुजा बेचने, सूप बनाने, दूध दुहने, मंच पर बार-बालाओं के संग ठुमके लगाने, राजमिस्त्री के साथ करनी चलाने,सपेरों संग बीन बजाने, पत्नी को चूड़ी पहनाने और तेजस्वी यादव को पुस्तक भेंट करने…जैसे कई फोटो अपने सोशल मीडिया (एक्स) पर साझा कर चुके हैं। इन प्रयासों के कारण वे पहले भी जनता के तंज का शिकार हो चुके हैं।
अब असली सवाल ये है कि क्या यह ईमानदार प्रतीकात्मकता थी या सुनियोजित राजनीतिक ड्रामा।क्या पीरपैंती की असली मिट्टी अब भी पहचान की तलाश में है या नेताओं की जेब में आयातित भावुकता से ढकी जा रही है।
जनता पूछ रही है… जवाब कौन देगा?
इस चुनावी वर्ष में मुद्दा चाहे बड़ा न हो, पर सवाल गहरा है क्या सियासत अब माथे की मिट्टी से भी बड़ी हो गई है। अगली बार जब कोई मंच पर कुछ लगाए, तो जनता पूछेगी – मिट्टी असली है या राजनीति की मिलावट। विकास के वादों में कितनी सच्चाई है,
और मुल्तानी मिट्टी में कितनी राजनीति।
