बिहार चुनाव 2025 : महागठबंधन का सीट बंटवारे का फॉर्मूला तय, 136+52+34+20 से NDA को सीधी चुनौती… क्या मान जाएंगे मुकेश सहनी?

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए महागठबंधन में सीट शेयरिंग पर सहमति बन गई है। RJD को 136, कांग्रेस को 52, वाम दलों को 34 और मुकेश सहनी की VIP को 18–20 सीटें मिल सकती हैं। जानें, इसका राजनीतिक असर और सहनी की भूमिका।

न्यूज स्कैन ब्यूरो, पटना
बिहार विधानसभा चुनाव नज़दीक आते ही महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर महीनों से चली खींचतान अब लगभग खत्म हो गई है। सूत्रों के अनुसार, तेजस्वी यादव की अगुवाई में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सबसे बड़ा हिस्सा अपने खाते में लेगा। वहीं कांग्रेस, वामदल और वीआईपी (विकासशील इंसान पार्टी) को भी उनकी ताकत और जनाधार के आधार पर सीटें दी जाएंगी। महागठबंधन का यह सीट बंटवारा केवल संख्याओं का खेल नहीं, बल्कि सामाजिक समीकरणों और राजनीतिक संतुलन का नतीजा है। तेजस्वी यादव की अगुवाई में “136+52+34+20” का यह फार्मूला अगर स्थिर रहा, तो यह एनडीए की चुनावी रणनीति के सामने गंभीर चुनौती खड़ी कर सकता है।

सीट बंटवारे का संभावित फॉर्मूला
राजद (RJD): 135–136 सीटें (इनमें से लगभग 10–11 सीटें झारखंड मुक्ति मोर्चा और रालोजपा पारस गुट को दी जाएंगी)
कांग्रेस (INC): 50–52 सीटें
वाम दल: लगभग 34 सीटें (CPI, CPI-ML, CPI(M))
वीआईपी (VIP): 18–20 सीटें
यानी कुल मिलाकर महागठबंधन ‘136+52+34+20’ के फॉर्मूले पर मैदान में उतर सकता है।

मुकेश सहनी: मांग और समझौते की राजनीति
मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी का आधार मुख्य रूप से निषाद/मल्लाह समाज में है, जिसकी जनसंख्या बिहार में 12–13% तक मानी जाती है। 2020 के चुनाव में वीआईपी ने एनडीए के साथ 11 सीटों पर चुनाव लड़ा और 4 सीटें जीतीं। 2022 में पार्टी के तीन विधायक बीजेपी में शामिल हो गए। इससे मुकेश सहनी की संगठनात्म कमजोरी उजागर हुई। इस बार सहनी ने पहले 60 सीटों की दावेदारी की थी, लेकिन अब वे गठबंधन की मजबूती और “NDA को रोकने की बड़ी लड़ाई” के लिए 18–20 सीटों पर समझौता करने को तैयार बताए जा रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि सहनी की रज़ामंदी महागठबंधन के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि निषाद समाज की उपेक्षा महागठबंधन के लिए नुकसानदेह हो सकती है।

सहमति बनने के पीछे की रणनीति
महागठबंधन में लंबे समय तक कांग्रेस और वीआईपी जैसी पार्टियां बड़ी हिस्सेदारी की मांग करती रहीं। लेकिन अंततः सभी दल इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि एनडीए जैसे संगठित गठबंधन का मुकाबला तभी किया जा सकता है, जब विपक्षी दल आपसी तालमेल और समन्वय से चुनाव मैदान में उतरें। तेजस्वी यादव ने भी हाल की बैठकों में “समझौते और एकता” पर जोर दिया, जिसके बाद सीट बंटवारे का फॉर्मूला तय हुआ।

कब होगी आधिकारिक घोषणा?
सूत्रों का कहना है कि सीट बंटवारे की औपचारिक घोषणा 15 सितंबर के बाद की जाएगी। अगर तब तक महागठबंधन के भीतर कोई नया विवाद नहीं उभरा, तो यह फार्मूला एनडीए के खिलाफ चुनावी रण में लागू होगा।

सबसे बड़ा सवाल : क्या यह फार्मूला चलेगा?
राजद : सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर अपनी लीडरशिप मज़बूत करेगी।
कांग्रेस: परंपरागत वोट बैंक को साधने की कोशिश करेगी।
वाम दल : जमीनी कैडर और संघर्ष की राजनीति से महागठबंधन को मजबूती देंगे।
वीआईपी : अपेक्षाकृत कम सीटों पर लड़ेगी लेकिन जातीय आधार की वजह से परिणामों पर असर डाल सकती है।