प्रदीप विद्रोही, भागलपुर
कहलगांव की सियासत में इन दिनों बवाल मचा है। इस चुनावी वर्ष में विधायक पवन यादव से आफत पीछा छोड़ने का नाम नहीं ले रहा है। भागलपुर की अदालत में एक पुराना मामला पहले से ही चल रहा है, और अब एक और नए मामले की किताब न्यायालय ने खोल दी है।
ताज़ा मामला कुछ यूं है – भाजपा विधायक पवन कुमार यादव पर 2 करोड़ 2 लाख रुपये की धोखाधड़ी का गंभीर आरोप लगा है! जिस ‘बाबा प्रोजेक्ट’ के नाम पर सड़क, पुल और बांध बनने थे – वहां अब राजनीति की फिसलन भरी सड़क तैयार होती दिख रही है।
हाईकोर्ट की एंट्री और मामला पलटा!
मुंगेर की निचली अदालत ने पहले तो कह दिया था – “कोई गड़बड़ी नहीं है,” लेकिन जयमाला सागर की अर्जी पर पटना हाईकोर्ट ने न सिर्फ इस फैसले पर ब्रेक लगाया, बल्कि विधायक पवन यादव और बाबा प्रोजेक्ट के तमाम अधिकारियों को नोटिस थमा दिया। यानी अब सुनवाई होगी… और सवालों की बौछार भी।
2017 से शुरू, 2025 तक पहुंची कहानी…
यह मामला कोई ताज़ा विवाद नहीं, बल्कि 2017 में दर्ज हुआ था। जयमाला सागर नाम की महिला ने शहर के कोतवाली थाना में एफआईआर दर्ज कराई थी – जिसमें धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश और मिलीभगत के आरोप लगाए गए थे। साथ ही यह भी आरोप लगाया गया कि कोतवाली पुलिस ने जानबूझकर विधायक और बाबा प्रोजेक्ट को बचाने की कोशिश की, ताकि अदालत में वे ‘साफ-सुथरे’ बनकर पेश हो सकें। पुलिस की अंतिम रिपोर्ट के आधार पर मुंगेर कोर्ट ने सभी को राहत दे दी थी, लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई।

हाईकोर्ट ने कहा – ठहरिए जनाब!
जयमाला सागर ने पटना हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया, और अदालत ने गंभीरता से सुनवाई करते हुए सीधे-सीधे सवाल पूछ डाले: क्यों नहीं हुई निष्पक्ष जांच? पुलिस की रिपोर्ट कितनी भरोसेमंद है? क्या विधायक पवन यादव और बाबा प्रोजेक्ट वाकई निर्दोष हैं? अब कोर्ट ने सभी आरोपियों को अपना पक्ष रखने का मौका दिया है – लेकिन इस नोटिस से राजनीतिक तापमान ज़रूर बढ़ गया है।
2025 के चुनावी रण में नया मुद्दा?
कहलगांव के मौजूदा विधायक के खिलाफ यह मामला विपक्षी खेमे को एक तैयार चुनावी मुद्दा दे चुका है। जब चुनाव नज़दीक हो और कोई नेता करोड़ों की धोखाधड़ी के आरोपों में घिर जाए तो सियासी बिसात पर चालें तेजी से बदलती हैं।
अब सवाल बड़ा है कि क्या पवन यादव इस आरोप से खुद को बचा पाएंगे, या फिर यह मामला उनके चुनावी भविष्य के लिए संकट बन जाएगा?
जयमाला सागर के पति बोले – “हमें न्याय मिलेगा” सागर यादव, जो इस कानूनी लड़ाई में अपनी पत्नी के साथ खड़े हैं, बोले, “हमने कभी उम्मीद नहीं छोड़ी। पटना हाईकोर्ट पर हमें पूरा भरोसा है कि सच सामने आएगा। जो दोषी है, उसे सज़ा ज़रूर मिलेगी।”

अब आगे क्या?
हाईकोर्ट की अगली सुनवाई में तय होगा कि मामला ट्रायल तक जाएगा या नहीं। विपक्ष इस पूरे प्रकरण को सियासी मंच पर ले आएगा और इसका असर कहलगांव सीट पर सीधा दिखाई दे सकता है। बाबा प्रोजेक्ट के अधिकारियों में भी बेचैनी साफ झलक रही है, और सभी अब कानूनी सलाह लेने में जुट गए हैं।
राजनीति, प्रोजेक्ट और अदालत – इन तीनों के बीच फंसे विधायक पवन यादव अब कानूनी और सियासी दोनों मोर्चों पर जंग लड़ने को मजबूर हैं।
2025 का चुनाव नज़दीक है, और यह केस कहलगांव की राजनीति को एक बड़ा मोड़ दे सकता है।