- भ्रष्टाचार का गढ़ बना DBA परिसर: बार-बार रोक के बावजूद अवैध निर्माण जारी, नगर निगम का आदेश हवा में
मदन, भागलपुर
जिला बार एसोसिएशन (डीबीए) परिसर में अवैध निर्माण का खेल अब न्यायपालिका तक पहुंच गया है। भागलपुर नगर निगम ने जिस इमारत को गैरकानूनी बताते हुए निर्माण पर रोक लगाई है, उसी अवैध भवन में लोक अदालत के लिए बीते 4 सितंबर को महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया। हैरानी की बात यह कि इस बैठक में खुद प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश समेत कई न्यायिक पदाधिकारी शामिल हुए।

हालत यह है कि जिला बार एसोसिएशन परिसर में चल रहा अवैध निर्माण अब कानून और प्रशासन दोनों की धज्जियां उड़ाने लगा है। भागलपुर नगर निगम ने पहले ही इस निर्माण कार्य पर रोक लगाई थी और स्पष्ट आदेश दिया था कि बिना नक्शा पास कराए किसी भी प्रकार का निर्माण पूरी तरह गैरकानूनी है।
लेकिन हैरानी की बात है कि बार-बार चेतावनी और रोक के आदेश के बावजूद, उसी जगह पर धड़ल्ले से निर्माण कार्य कराया जा रहा है। नगर निगम की ताज़ा जांच रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि एसोसिएशन परिसर में बिना नक्शा पास कराए पहला तल बनाया जा रहा है, जो सीधे-सीधे बिहार बिल्डिंग बायलॉज का उल्लंघन है।
नगर आयुक्त ने पत्रांक 916 और दिनांक 21.6.2025 को ही पुलिस बल और दंडाधिकारी की मौजूदगी में निर्माण रोकने का आदेश दिया था। लेकिन इसके बावजूद निर्माण जारी रहना, इस पूरे मामले में गहरी मिलीभगत और लापरवाही को उजागर करता है।
अब नगर निगम ने एक बार फिर सख्त लहजे में आदेश जारी कर सदर अनुमंडल पदाधिकारी और सिटी डीएसपी को निर्देश दिया है कि अवैध निर्माण पर तुरंत रोक लगाई जाए और दोषियों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए।

वहीं, जानकार बताते हैं कि यह मामला अब सिर्फ अवैध निर्माण तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह कानून, न्याय और प्रशासन की साख पर सीधा प्रहार है।
सुलगते सवाल
- जब मी लार्ड ही अवैध बिल्डिंग में बैठक करेंगे तो आम जनता कानून के राज पर कैसे भरोसा करेगी?
- नगर निगम के आदेश आखिर किस काम के, जब उनकी धज्जियां खुलेआम उड़ाई जा रही हैं?
- क्या बार एसोसिएशन परिसर में अवैध निर्माण के पीछे सत्ता और प्रभावशाली चेहरों का संरक्षण है?
- जब नगर निगम बार-बार रोक का आदेश दे रहा है, तो फिर किसके इशारे पर निर्माण चल रहा है?
- क्या प्रशासनिक आदेशों को खुलेआम ठेंगा दिखाना कानून की अवहेलना नहीं है?
स्पष्ट है कि यह पूरा मामला न सिर्फ भ्रष्टाचार की बू दे रहा है, बल्कि यह भी साबित करता है कि भागलपुर नगर निगम के आदेशों की कोई परवाह नहीं की जा रही। अब देखना होगा कि इस बार नगर निगम और प्रशासन वास्तव में कार्रवाई करता है या फिर यह आदेश भी सिर्फ कागज़ों तक ही सीमित रह जाएगा।
जिला विधिज्ञ संघ बचाओ संघर्ष समिति ने डीबीए महासचिव की मंशा पर उठाए सवाल, कहा– अवैध भवन में क्यों कराई मीटिंग ?
भागलपुर जिला विधिज्ञ संघ बचाओ संघर्ष समिति ने इसकी निंदा की है। समिति के पदाधिकारियों ने तीखी आपत्ति दर्ज करते हुए कहा है कि जिस भवन के निर्माण पर स्वयं नगर आयुक्त एवं तमाम पुलिस अधिकारियों द्वारा रोक लगाई जा चुकी है, उसी अवैध भवन में राष्ट्रीय लोक अदालत के लिए महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई, जिसमें प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश भी मंच पर आसीन रहे।

जबकि संघ की सभी बैठकें परंपरागत रूप से अधिवक्ता हॉल में आयोजित होती रही हैं, ऐसे में यह गंभीर प्रश्न उठता है कि आखिरकार संघ के महासचिव ने इस बार अवैध भवन में बैठक क्यों कराई? उनकी वास्तविक मंशा क्या थी? क्या यह किसी विशेष हित या दबाव में लिया गया निर्णय था? संघर्ष समिति इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच की मांग करती है और यह चेतावनी देती है कि न्यायपालिका की गरिमा से खिलवाड़ किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।