न्यूज स्कैन ब्यूरो, सुपौल
अखिल भारतीय लोकगाथा भगैत महासभा के तत्वावधान में सदर प्रखंड अन्तर्गत चौघारा ग्राम में बुधवार को धर्मराज सभा का आयोजन किया गया। सभा की अध्यक्षता करते हुए महासभा संयोजक सह प्रवक्ता डॉ. अमन कुमार ने कहा कि संस्कृति ही किसी समाज और देश का प्राण हैं। लोकगाथा भगैत के सबसे बड़े महानायक बाबा धर्मराज हैं। मानवता की असली पाठशाला है भगैत। लोकगाथा भगैत भारतीय संस्कृति व सभ्यता का सबसे बड़ा दर्शन एवं सर्वोत्तम प्रहरी है। लोकगाथा भगैत समाज के किसी वर्ग, धर्म, जाति या व्यक्ति विशेष से संबंधित नहीं है बल्कि सम्पूर्ण समाज का धरोहर है। जिसके आधार पर साहित्य, संस्कृति व लोक देवताओं के इतिहास एवं अनमोल ज्ञान की जानकारी मिलती है। डॉ. कुमार ने कहा कि समाज में जनचेतना व जनशिक्षा के दृष्टिकोण से भगैत सबसे बड़ा सामाजिक व धार्मिक अभियान है। भगैत कोशी और मिथिलांचल के जन-जन में समाया हुआ है। भगैत सामाजिक शुद्धता एवं धर्मनिरपेक्षता के लिए वरदान साबित हुई है। यह धर्म, प्रेम, एकता एवं सदभाव का प्रतीक हैं। लोकगाथा भगैत सर्वधर्म समभाव एवं वसुधैव कुटुंबकम् की भावना से ओत-प्रोत है। डॉ. कुमार ने कहा कि सुपौल सदर प्रखंड के चौघारा ग्राम में बिहार सरकार के कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के द्वारा राजकीय महोत्सव के रूप में बाबा धर्मराज महोत्सव आयोजन होना चाहिए। वार्षिक सभापति घिनाय यादव ने कहा कि ईशवर के ज्ञान, न्याय, दया, परोपकार आदि गुणों को लोकगाथा भगैत के माध्यम से आम-आवाम को अवगत कराया जाता है। गायन व कथा के माध्यम से भक्ति का मार्ग प्रशस्त करते हुए ठेठ मैथिली के माध्यम से इंसानियत का बड़ा पैगाम देता है। सचिव भुवनेश्वरी यादव ने कहा कि भगैत साम्प्रादायिक सौहार्द का सबसे बड़ा उदाहरण है। इसे सदा संरक्षित और संयोग कर रखने की आवशयकता है। सभापति महेश्वरी यादव ने कहा कि धर्मराज का असली अर्थ धर्म को पालन करने वाला होता है। महासभा पदाधिकारी गजेन्द्र यादव व श्याम पंजीयार ने कहा कि धर्मराज की कथा पर अमल करने के बाद व्यक्ति में मानवता का गुण कूट-कूट कर भर जाता है। वक्ताओं ने कहा कि भावी पीढ़ी को बाबा धर्मराज के विचारों से अवगत कराने के साथ-साथ धर्मराज भक्तों के सम्मान में बाबा धर्मराज महोत्सव का आयोजन होना नितांत आवशयक है। धर्मराज सभा में नरेश बाबा, कृष्ण कुमार, यदुनंदन यादव, खट्टर यादव, लक्ष्मी यादव, मोहन यादव, शम्भू यादव, फूलेन्द्र यादव, शिवनारायण यादव, बेचन राम, रामनारायण साह, गणेश यादव, विपीन कुमार, रामचन्द्र साह, रामप्रसाद यादव , कपिलदेव यादव,आदि उपस्थित थे।