न्यूज स्कैन रिपाेर्टर, भागलपुर
हास्य-व्यंग्य की साहित्यिक संस्था बगुला मंच द्वारा इशाकचक लालूचक अंगारी में एक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता डॉ. प्रेमचंद पांडे ने की। प्रमुख अतिथि प्रसिद्ध कथाकार उमाकांत भारती थे, जबकि गोष्ठी का संचालन सचिव धीरेज पंडित ने किया।
गोष्ठी की शुरुआत इकराम हुसैन शाद की सरस्वती बंदना – “मां सरस्वती सुखदायनी” से हुई। कवियों और कलाकारों ने विभिन्न रूपों में साहित्यिक प्रस्तुतियाँ दीं। प्रीतम विश्वकर्मा कवियाठ ने समसामयिक कविता “चहुं दिस पानी के बहार अईलै, कोना रे कोना सं बौछार अईलै” सुनाकर बाढ़ की विभीषिका को उजागर किया। कवि और गायक संजीव कुमार झा ने लोकगीत “हम नै सहबै कौनो दुखवा पिया, हम अलगै रहबै ना” प्रस्तुत कर कुछ बहुओं की मानसिकता को सामने रखा।
संचालन कर रहे कवि धीरज पंडित ने कविता “रब ने ये रस्ता बनाया मजेदार है, चलना संभलके कि आगे सुबेदार है” सुनाकर समरसता का संदेश दिया। विनोद कुमार राय ने “सहना सीखो, कहना सीखो, बड़ों के आगे झुकना सीखो” सुनाकर खूब वाहवाही बटोरी।
मुख्य अतिथि उमाकांत भारती ने शहीदों के कर्तव्यों को अपनी कविता के माध्यम से याद किया। गोष्ठी में सामाजिक संवेदना से जुड़े कविताओं का ही बोलबाला रहा। अध्यक्ष डॉ. प्रेमचंद पांडे, त्रिलोकी नाथ दिवाकर, शंकर कुमार यादव, गणेश ठाकुर अकेला, सोहन मंडल, विनोद राय, और डॉ. के. के. मंडल ने अपनी कविताओं का पाठ कर समां बांधा।धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम के अंत में विनोद कुमार राय ने किया।