न्यूज स्कैन ब्यूरो, भागलपुर
22 अगस्त 2022 को जब जवाहर लाल ने तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति का पदभार संभाला था, तब उम्मीद थी कि विश्वविद्यालय में शिक्षा, पारदर्शिता और प्रशासनिक सुधार की नई शुरुआत होगी। लेकिन अब, तीन साल बाद, उनका कार्यकाल आरोपों और विवादों के साये में खत्म हो रहा है। तीन साल में वीसी को छात्र, शिक्षकों से लेकर शिक्षकेतर कर्मचारियों के संगठन के विरोध का सामना करना पड़ा। अर्थी जुलूस से लेकर पेंशनरों के गुस्से को भी झेलना पड़ा।
तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में तीन साल का सफर… और सफर भी ऐसा, जिसमें विकास से ज्यादा विवाद सुर्खियों में रहा। 22 अगस्त को कुलपति जवाहर लाल का कार्यकाल खत्म हो रहा है, लेकिन पीछे छोड़ जा रहे हैं आरोपों, घोटालों और प्रशासनिक अनियमितताओं का लंबा चौड़ा रिकॉर्ड। तीन साल के इस कार्यकाल में विश्वविद्यालय शायद ही कभी सकारात्मक सुर्खियों में रहा हो।

TMBU VC जवाहर लाल पर लगे थे आरोप
भ्रष्टाचार और दलाली – पेंशन भुगतान में रिश्वत लेने के आरोप।
भाई-भतीजावाद – अयोग्य शिक्षकों को प्राचार्य पद पर नियुक्ति।
पीएचडी एडमिशन धांधली – प्रवेश परीक्षा में गड़बड़ी।
सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग – मुंगेर विश्वविद्यालय का आईफोन और लैपटॉप निजी उपयोग में रखना।
गैर-संवैधानिक नियुक्तियाँ – कई पदों का मनमाना सृजन।
मुफ्त नामांकन नीति खत्म करना – बिहार सरकार की सात निश्चय योजना के तहत लागू नीति हटाई।
रिज़ल्ट में हेराफेरी – 25 छात्रों के अंक बढ़ाकर पास कराना (ताड़र कॉलेज मामला)।
वेतन और पेंशन रोकना – शिक्षकों और प्राचार्यों का वेतन बिना कारण रोका जाना।
आवास को कार्यालय बनाना – प्रशासनिक पारदर्शिता खत्म करना और परीक्षा विभाग में धांधली बढ़ना जैसे गंभीर आरोप गूंजते रहे।
छात्र संगठनों का हमला
अखिल बिहार छात्र एकता ने कुलपति पर खुलेआम भाई-भतीजावाद और पद का दुरुपयोग करने के आरोप लगाए। आरोप है कि एसोसिएट प्रोफेसर की पात्रता तक न रखने वाले दो लोगों को कॉलेज का प्राचार्य बना दिया गया। पीएचडी एडमिशन टेस्ट में भी धांधली के आरोप लगे।


सिंडिकेट का मोर्चा
विश्वविद्यालय के सिंडिकेट सदस्य खुद कुलपति के खिलाफ सड़क पर उतरे। वरिष्ठ सदस्यों ने आरोप लगाया था कि बिना रिश्वत पेंशन का भुगतान नहीं हो रहा। शिक्षकों और प्राचार्यों का वेतन रोकने को जबरन वसूली बताया था।

सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग
विद्यार्थी परिषद ने आरोप लगाया था कि मुंगेर विश्वविद्यालय में प्रतिकुलपति रहते समय जो आईफोन और लैपटॉप उन्हें सरकारी सुविधा के रूप में मिले थे, उन्हें निजी उपयोग के लिए रख लिया गया। परिषद ने इसे खुली डकैती तक करार दिया था।
नीतियों से खिलवाड़
बिहार सरकार की सात निश्चय योजना के तहत एससी-एसटी वर्ग और अन्य छात्रों के मुफ्त नामांकन की नीति को एक सत्र लागू करने के बाद अगले सत्र से हटा दिया गया। छात्र संगठनों ने इसे शिक्षा के अधिकार से खिलवाड़ बताया था।

रिज़ल्ट में गड़बड़ी पर राजभवन की सख्ती
ताड़र कॉलेज, इंग्लिश ऑनर्स पार्ट-2 के 25 छात्रों के अंकों में हेराफेरी कर उन्हें पास कराने का मामला सामने आने के बाद राजभवन ने तत्काल संज्ञान लेकर जांच के आदेश दिए थे।
आवास को कार्यालय बनाकर मनमानी करना
सिंडिकेट सदस्यों ने आरोप लगाया था कि कुलपति ने अपने सरकारी आवास को ही स्थायी कार्यालय बना लिया, जिससे प्रशासनिक पारदर्शिता खत्म हो गई और परीक्षा विभाग में अनियमितताएँ बढ़ीं। कहा यह भी जा रहा है कि आवास में इंट्री से पहले सबका मोबाइल टोकरी में रखवा लिया जाता था, ताकि अंदर का कुछ भी रिकार्ड नहीं हो सके।

कार्यकाल का अंत, लेकिन सवाल बाकी
22 अगस्त 2025 को कार्यकाल खत्म होते ही जवाहर लाल पद छोड़ देंगे, लेकिन आरोपों का यह बोझ और विश्वविद्यालय की धूमिल साख उनके साथ इतिहास में दर्ज रहेगा। सवाल यह है कि क्या इन आरोपों की उच्चस्तरीय जांच होगी या यह सब राजनीतिक और प्रशासनिक धूल में दबकर रह जाएगा?
22 अगस्त को प्रो. जवाहर लाल का कार्यकाल खत्म होगा। सवाल यह है कि तीन साल के इस विवादित कार्यकाल का हिसाब कौन देगा? और क्या विश्वविद्यालय फिर से उसी पुरानी गरिमा को हासिल कर पाएगा, या फिर नए कुलपति को भी घोटालों की विरासत ही मिलेगी?


मुख्य आरोप और घटनाक्रम
- पेंशन भुगतान में धांधली और भ्रष्टाचार
जून 2025 में विश्वविद्यालय के सिंडिकेट सदस्यों ने विश्वविद्यालय कुलपति पर आरोप लगाया था कि पेंशन का भुगतान बिना रिश्वत दिए नहीं हो रहा है।प्रदर्शनकारियों ने कहा था कि अब “पेंशन पाना अधिकार नहीं, सौदेबाज़ी बन गया है।” साथ ही, उन्होंने शिकायत की थी कि कुलपति का प्रशासनिक भवन के बजाय अपना आवास कार्यालय के रूप में उपयोग करने से प्रशासनिक पारदर्शिता समाप्त हो गई है।
- परीक्षा विभाग में भ्रष्टाचार उजागर
कुछ महीनों पूर्व (जून 2025) परीक्षा विभाग के कर्मचारियों द्वारा छात्रों को नकली एडमिट कार्ड और मार्कशीट जारी करने का मामला आया था। कुलपति ने जांच टीम गठित की; परीक्षा नियंत्रक को शो-कॉज़ नोटिस, सहायकों को निलंबित और आरोपी कर्मचारियों को स्थानांतरित किया गया था।
- कुलपति की अर्हता पर सवाल
पूर्व रजिस्ट्रार ने उच्च न्यायालय में दावा किया था कि प्रो. जवाहर लाल के पास कुलपति का पद संभालने की आवश्यकता अनुरूप योग्यता नहीं है।
- प्रशासनिक छुपाव और कार्रवाई
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, आरोपों की खबरों को जनता से छिपाने की साजिश के तहत कुलपति को “हाउस अरेस्ट” जैसी स्थिति में रखा गया और विश्वविद्यालय में गलत समाचारों पर नियंत्रण रखा गया।
- प्रभारी रजिस्ट्रार पर हमला और कार्रवाई
नवंबर 2024 में, पूर्व रजिस्ट्रार पर चार कर्मचारियों ने मारपीट की थी। इस मामले में कुलपति के आदेश पर चार कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया था और FIR भी दर्ज करवाई गई थी।
