न्यूज स्कैन ब्यूरो,अररिया
अखंड सौभाग्य की कामना का पर्व कजरी तीज श्रद्धा और आस्था के साथ बुधवार को मनाया गया। सुहागिन महिलाएं मिट्टी के शंकर भगवान और पार्वती की प्रतिमा बनाकर पूजा-अर्चना की और सदा सुहागन रहने का वरदान मांगा।फारबिसगंज में माहेश्वरी समाज द्वारा परंपरागत तरीके से कजरी तीज मनाया गया।
माहेश्वरी समाज की सुनीता लढ़ा ने बताया कि भारतीय संस्कृति के अनेक पर्व व त्यौहार हमारी संस्कृति को प्रदर्शित करती है।यह व्रत और उपवास पति और परिवार की मंगल कामना के लिए किए जाते हैं। इस अवसर पर तैयार किए गए पकवान और राजस्थान की पाक कला की दूरदर्शिता को प्रदर्शित किया जाता है। परिवार की महिलाएं पूरे दिन निर्जल रहकर उपवास करती है और रात्री के समय चंद्रमा को अर्घ्य देकर सत्तु का भोग लगाकर प्रसाद के रूप में ग्रहण करती है।
माहेश्वरी समाज के राज कुमार लढ़ा और सुनीता लढ़ा ने बताया कि माहेश्वरी समाज के सबसे बड़े त्योहार सातुडी तीज की तैयारियां हर घर में पंद्रह दिन पहले शुरू हो जाती है। घी-चीनी मिलाकर पिंडे बनाए जाते हैं। तीन अनाज के बनने वाले पिंडे स्वाद की विविधता को दर्शाता है। तीज के दिन महिलाएं पूरे दिन उपवास रखती हैं और संध्या के समय सामूहिक रूप से पारंपरिक वस्त्र पहनकर नीमडी पूजन करती हैं।उन्होंने आगे बताया कि रात में सामूहिक पूजन करने और चांद देखने के बाद सत्तु को ग्रहण करते हैं।
शादी के बाद पहली बार तीज का व्रत रखने वाले सुहागिनों में पर्व को लेकर खासा उत्साह देखा गया।सुहागिन महिलाओं ने पति की लंबी उम्र की कामना की। इस दौरान महिलाएं पारंपरिक वस्त्र और आभुषण पहनकर पूजा अर्चना की। सुनीता लढ़ा,नेहा मरोठी,सोनी सिंघी,सुनीता पुगलिया,विधा पुगलिया ने कजरी तीज की पूजा सुनीता लढ़ा के निवास पर की।

कजरी तीज पर सुहागिनों ने पति के नाम की मेहंदी से सजाए हाथ

