न्यूज स्कैन ब्यूरो, पटना
बिहार की राजनीति में इन दिनों वोटर लिस्ट को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने अब उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा पर आरोप लगाया है कि उनके पास दो अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों यानी बांकीपुर और लखीसराय से मतदाता पहचान पत्र (EPIC) हैं। तेजस्वी का दावा है कि दोनों कार्ड में उनकी उम्र भी अलग-अलग दर्ज है। तेजस्वी के मुताबिक, एक कार्ड में उम्र 57 वर्ष है, जबकि दूसरे में 60 वर्ष। उन्होंने आरोप लगाया कि यह हाल में हुए स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के बाद की गड़बड़ी का सबूत है। यह विवाद न केवल व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप तक सीमित है, बल्कि वोटर लिस्ट में पारदर्शिता और विश्वसनीयता को लेकर भी सवाल खड़े करता है। बिहार में पहले से ही SIR प्रक्रिया पर कई राजनीतिक दल सवाल उठा रहे हैं।
विजय सिन्हा की सफाई
विजय कुमार सिन्हा ने इन आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि जैसे ही उन्हें दो EPIC नंबर की जानकारी मिली, उन्होंने 5 अगस्त को एक स्थान का वोटर आईडी रद्द करने के लिए आवेदन दे दिया। उनका कहना है कि यह जानबूझकर नहीं, बल्कि रिकॉर्ड अपडेट में देरी के कारण हुआ। इसमें कोई वैसी बात नहीं जैसा तेजस्वी बता रहे हैं।

तेजस्वी यादव भी पहले विवाद में रहे
दिलचस्प बात यह है कि इसी तरह का विवाद तेजस्वी यादव को लेकर भी पहले उठ चुका है। एनडीए नेताओं ने उन पर भी दो मतदाता पहचान पत्र रखने का आरोप लगाया था। एक उनके वर्तमान निर्वाचन क्षेत्र राघोपुर और दूसरा दिल्ली में पते के आधार पर जारी हुआ था। उस वक्त भी मामला चुनाव आयोग तक पहुंचा था, और तेजस्वी को सफाई देनी पड़ी थी।
क्या कहता है चुनाव आयोग का नियम
चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार, एक व्यक्ति का नाम केवल एक ही विधानसभा क्षेत्र की मतदाता सूची में होना चाहिए। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 17 और 18 के तहत, यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों में नाम दर्ज कराता है, तो यह दंडनीय अपराध है। दोषी पाए जाने पर एक साल तक की जेल, जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। अगर गलती से नाम दो जगह दर्ज हो जाए, तो संबंधित मतदाता को एक क्षेत्र का नाम हटाने के लिए आवेदन करना होता है। चुनाव आयोग के पास ऐसे मामलों में नाम निरस्त करने और FIR दर्ज कराने का अधिकार है।