न्यूज स्कैन ब्यूरो, पटना
लोकसभा चुनाव से पहले भारत निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक दलों पर बड़ी कार्रवाई की है। आयोग ने 334 गैर-मान्यता प्राप्त पंजीकृत राजनीतिक दलों को अपनी सूची से हटा दिया है। इनमें बिहार की 17 और झारखंड की 5 पार्टियां भी शामिल हैं। इस कार्रवाई के बाद देश में अब केवल 6 राष्ट्रीय, 67 राज्य स्तरीय और 2,520 गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल ही पंजीकृत रह गए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम न केवल चुनावी सुधार की दिशा में अहम है, बल्कि फर्जी और निष्क्रिय राजनीतिक संगठनों के प्रभाव को भी खत्म करेगा।
आरपी एक्ट की धारा के तहत कार्रवाई
आयोग के अनुसार, यह कदम पारदर्शी चुनाव प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है। हटाए गए दल न तो पिछले छह सालों में किसी भी चुनाव में शामिल हुए और न ही इनके पंजीकृत पते आयोग के रिकॉर्ड से मेल खाए। निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया है कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29ए के तहत किसी भी पंजीकृत राजनीतिक दल को पंजीकरण के पांच साल के भीतर चुनाव में हिस्सा लेना जरूरी है। यदि कोई दल लगातार छह वर्षों तक चुनावी गतिविधियों से दूर रहता है, तो उसकी मान्यता समाप्त की जा सकती है। जांच में पाया गया कि सूची से हटाए गए दलों के कार्यालय पते या तो बदल चुके थे या अस्तित्व में ही नहीं थे। साथ ही, ये दल लंबे समय से निष्क्रिय थे और किसी भी चुनाव में भागीदारी नहीं कर रहे थे।