न्यूज स्कैन ब्यरो, पटना
बिहार की राजनीति में बाहुबली नेता और मोकामा के पूर्व विधायक अनंत सिंह एक बार फिर सुर्खियों में हैं। शनिवार को उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुख्यमंत्री आवास पर मुलाकात की। यह जेल से बाहर आने के बाद उनकी पहली मुलाकात थी। यह मुलाकात करीब 15 मिनट चली। मुलाकात के बाद वे मीडिया से बिना बात किए निकल गए। लेकिन राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज हो गई है कि अनंत सिंह ने जेडीयू के टिकट पर मोकामा से चुनाव लड़ने की दावेदारी पेश की है।
बाहुबली से विधायक तक का सफर
अनंत सिंह का नाम बिहार की सियासत में ‘छोटे सरकार’ के रूप में जाना जाता है। मोकामा सीट पर उनका दबदबा दो दशकों से कायम रहा है। 2005, 2010, 2015 में वे जेडीयू के टिकट पर विधायक बने। नीतीश कुमार के भरोसेमंद माने जाते थे और मोकामा-बाढ़ बेल्ट में उनका दबदबा राजनीतिक समीकरण तय करता था। 2015 में जेडीयू-राजद गठबंधन के दौर में उनके खिलाफ आपराधिक मामलों में कार्रवाई तेज हुई। इसके बाद वे नीतीश से दूरी बनाने लगे और अंततः निर्दलीय हो गए। 2020 में उनकी पत्नी नीलम देवी ने मोकामा से राजद के टिकट पर जीत हासिल की। अनंत सिंह लालू परिवार को लेकर काफी मुखर रहे हैं। जेल से निकलने के बाद ही उन्होंने कहा कि विधायक के तौर पर उनकी पत्नी का कामकाज संतोषजनक नहीं रहा। इस बार वे खुद चुनाव लड़ेंगे।
लेकिन मोकामा में छोटे सरकार का दबदबा कायम रहा। अनंत का इस इलाके में मजबूत जनाधार है।
जेडीयू और राजद से रिश्तों का उतार-चढ़ाव
जेडीयू दौर (2005–2015):
अनंत सिंह, नीतीश कुमार के ‘ट्रबलशूटर’ माने जाते थे। चुनावी समय में मोकामा से उनकी जीत तय मानी जाती थी।
दूरी और टकराव (2015–2019):
जेडीयू-राजद गठबंधन के दौरान उन पर कार्रवाई बढ़ी, पुलिस रेड और केसों ने उन्हें पार्टी से अलग कर दिया।
राजद से नजदीकी (2020):
पत्नी नीलम देवी को राजद से टिकट दिलाकर उन्होंने सत्ता के समीकरण में वापसी की कोशिश की।
आगे की राह क्या रहेगी
नीतीश कुमार से मुलाकात के बाद अटकलें तेज हैं कि वे फिर से जेडीयू के पाले में लौट सकते हैं। यह कदम मोकामा में राजद की मुश्किलें बढ़ा सकता है। इस सीट पर जातीय समीकरण से ज्यादा व्यक्तिगत दबदबा नतीजा तय करता है। अगर जदयू के टिकट पर अनंत सिंह मैदान में उतरते हैं तो यह एनडीए के लिए रिकवरी वाला कदम हो सकता है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि जदयू में अनंत सिंह की वापसी मोकामा के अलावा बाढ़, पटना ग्रामीण और आसपास की सीटों पर असर डाल सकती है। वहीं राजद के लिए अहम यह है कि नीलम देवी की जीत का आधार अनंत सिंह का नेटवर्क ही है।
अनंत सिंह के खिलाफ आपराधिक मामले
2008 – पटना के पत्रकार पर हमले के मामले में नाम आया, विवादों की शुरुआत यहीं से मानी जाती है।
2015 – लखीसराय में इंजीनियर की हत्या के मामले में एफआईआर दर्ज, इसके बाद पुलिस के साथ टकराव बढ़ा।
2019 – उनके मोकामा स्थित घर से एके-47 और ग्रेनेड बरामद होने पर UAPA के तहत केस दर्ज।
2020 – कोर्ट ने उन्हें हथियार बरामदगी मामले में दोषी ठहराया और 10 साल की सजा सुनाई।
2024 – हाईकोर्ट से सजा पर राहत मिलने के बाद जेल से रिहाई।