न्यूज स्कैन रिपाेर्टर, भागलपुर
भागलपुर में गंगा की बाढ़ ने लोगों की ज़िंदगी तबाह कर दी है, लेकिन इससे भी बड़ी त्रासदी है प्रशासन की संवेदनहीनता। जिन लोगों ने अपना सब कुछ खो दिया, वे अब भागलपुर एयरपोर्ट मैदान में खुले आसमान के नीचे जीने को मजबूर हैं। लेकिन अब इन बेघरों पर दोहरी मार पड़ रही है। एक तरफ कुदरत की मार, दूसरी तरफ सत्ता की साज-सज्जा।
राष्ट्रपति के संभावित दौरे को लेकर प्रशासन बौखला गया है। एयरपोर्ट मैदान को खाली कराने के लिए गुरुवार दोपहर 2 बजे सदर एसडीओ विकास कुमार भारी पुलिस बल के साथ वहां पहुंचे। मैदान में रह रहे सैकड़ों बाढ़ पीड़ितों को तत्काल हटाने का निर्देश दे दिया गया। कारण—राष्ट्रपति का हेलीकॉप्टर यहीं उतरना है।
प्रशासन की तैयारी तेज, लेकिन राहत कहां है?
एसडीओ ने दावा किया कि वैकल्पिक स्थल चिन्हित कर लिया गया है और सभी आवश्यक सुविधाएं वहां उपलब्ध कराई जा रही हैं। लेकिन पीड़ितों का कहना है कि ये सब महज कागज़ी बात है। न टेंट है, न पीने का पानी, न शौचालय, न बिजली। सिर्फ दबाव है—उठ जाओ, हट जाओ, ताकि राष्ट्रपति का स्वागत हो सके।
“हमें राष्ट्रपति नहीं, रहने की जगह चाहिए!”
ग्रामीणों में आक्रोश साफ दिख रहा है। एक महिला ने कहा, “हम बाढ़ में सब कुछ गंवा चुके हैं, अब क्या इस मैदान से भी निकाल देंगे? राष्ट्रपति हमारे लिए क्या करेंगे?” वहीं एक बुजुर्ग ने तीखा तंज कसा, “अगर राष्ट्रपति को हमारी हालत दिखेगी तो शायद कुछ मदद मिले, लेकिन प्रशासन तो उन्हें हमारी परछाई भी नहीं दिखने देना चाहता।”
प्रशासन के लिए मानवीय संकट बन गई राष्ट्रपति यात्रा
अब प्रशासन के सामने दोहरी चुनौती है—एक तरफ राष्ट्रपति की यात्रा का चाक-चौबंद इंतजाम, दूसरी तरफ मानवीय संवेदना की अग्नि परीक्षा। अगर प्रशासन ने सख्ती से मैदान खाली कराया, तो तस्वीरें और वीडियो देशभर में शर्मिंदगी का कारण बन सकते हैं। अगर नहीं खाली कराया, तो वीवीआईपी मूवमेंट में खलल पड़ेगा।