खुलासा : सप्ताह में चार दिन अविनाश से मिलता था खगड़िया का गोली तस्कर सोना बाबू गुप्ता, पूर्णिया के विशाल गन हाउस के रजिस्टर में भी दर्ज है नाम

  • कारतूस तस्करी के बड़े नेटवर्क से सांठगांठ का अंदेशा, गन हाउस ऑनर के पूछताछ में खुलासा

न्यूज स्कैन ब्यूरो, खगड़िया

कारतूस तस्करी में बीते सोमवार को गिरफ्तार खगड़िया सामान्य शाखा के कंप्यूटर ऑपरेटर अविनाश को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। एसटीएफ सूत्रों की माने तो अविनाश कुमार अंतरराज्यीय कारतूस तस्कर गिरोह से जुड़ा था। हालांकि इस संबंध में एसटीएफ और पूर्णिया पुलिस की जांच अभी चल ही रही है। जिसके बाद इस मामले में और खुलासा होना संभव है। बताया जा रहा है कि पूर्णिया के विशाल गन हाउस के मालिक इंद्रजीत कुमार ने एसटीएफ की पूछताछ में खगड़िया के मानसी निवासी सोना बाबू गुप्ता और अविनाश कुमार से सांठगांठ को कबूल किया है। जबकि पुलिस ने विशाल गन हाउस के खरीद-बिक्री रजिस्टर की जांच में पाया कि इसमें अविनाश कुमार सहित दो अन्य संदिग्धों के नाम दर्ज हैं।

हाजीपुर से सोना बाबू गुप्ता आया था गिरफ्त में

गौरतलब है कि कारतूस तस्करी से जुड़े इस पूरे मामले का मास्टरमाइंड खगड़िया निवासी सोना बाबू गुप्ता को बीते 11 जुलाई को हाजीपुर रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार किया गया था। जिसके साथ तीन अन्य लोग भी शामिल थे। इस संबंध में हाजीपुर में रेल थाना कांड संख्या–112/2025 दर्ज किया गया था। गिरफ्तार अपराधियों के पास से अवैध कारतूस, आर्म्स लाइसेंस बुक और अन्य सामानों की बरामदगी हुई थी। जिसके बाद रेल पुलिस ने पूर्णिया पुलिस को इसकी जानकारी साझा की थी। ये लोग पूर्णिया के विशाल गन हाउस से कारतूस खरीदकर हाजीपुर बेचने आए थे। जहां धर दबोचे गए।

4 अगस्त को खगड़िया सामान्य शाखा से हुई थी गिरफ्तारी

बताया गया कि हाजीपुर से गिरफ्तार सोना बाबू गुप्ता और अन्य अपराधियों से रेल पुलिस ने जब पूछताछ की तो पता चला कि ये लोग पूर्णिया से कारतूस खरीद किए हैं। जिसके बाद विशाल गन हाउस पर पूर्णिया के केहाट थाना और स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) की संयुक्त टीम ने छापेमारी की। जहां दस्तावेजों की जांच में खगड़िया के तीन मृतक आर्म्स लाइसेंस धारकों के नाम पर कारतूस उठाव का खुलासा हुआ। जिसके बाद गन हाउस के ऑनर इंद्रजीत की गिरफ्तारी के बात बीते 4 अगस्त को खगड़िया सामान्य शाखा के कर्मी अविनाश कुमार की गिरफ्तारी की गई।

संगठित नेटवर्क का अंदेशा

एसटीएफ सूत्रों की माने तो पूर्णिया के इंद्रजीत, खगड़िया के तस्कर सोना बाबू गुप्ता और खगड़िया सामान्य शाखा कर्मी अविनाश के बीच गहरी सांठगांठ थी। एसटीएफ सूत्रों की माने तो इस रैकेट का व्यापक और संगठित नेटवर्क होने की संभावना है। सूत्रों के मुताबिक, अविनाश मृत लोगों के जमा लाइसेंस को अवैध राशि लेकर सोना बाबू गुप्ता और इंद्रजीत को सौंपता था। इसके बाद इन लाइसेंसों के सहारे इंद्रजीत बिहार के अलग-अलग जिलों से कारतूस खरीदता और गिरोहों के बीच सप्लाई करता था।