बिहार की SIR प्रक्रिया पर देशव्यापी सियासत गरम: तमिलनाडु और बंगाल में उठा विरोध का तूफान

DMK और कांग्रेस ने लगाए चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप, ममता बनर्जी ने भी जताई गहरी आशंका

न्यूज़ स्कैन ब्यूरो, पटना:
बिहार में चुनाव आयोग द्वारा चल रही स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया अब राज्य की सीमाओं को पार कर देशव्यापी बहस का विषय बन चुकी है। इस प्रक्रिया को लेकर तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में सियासी हलचल तेज हो गई है। विपक्षी दलों ने इसे लोकतंत्र के लिए “खतरा” बताया है। बंगाल में भी बवाल जारी है। ममता ने भी सड़क पर आंदोलन की चेतावनी दी है।

तमिलनाडु में उठी विरोध की आवाजें
तमिलनाडु में सत्तारूढ़ पार्टी DMK और उसके सहयोगी कांग्रेस ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने दावा किया कि बिहार के प्रवासी मजदूरों को जानबूझकर तमिलनाडु की मतदाता सूची में जोड़ा जा रहा है, जिससे राज्य की सामाजिक और राजनीतिक संरचना में हस्तक्षेप हो रहा है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, “यदि यह बात सही है कि लाखों प्रवासी मतदाता एक राज्य की राजनीति को प्रभावित करने के लिए दूसरे राज्य की मतदाता सूची में शामिल हो रहे हैं, तो यह देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए बड़ा खतरा है।” चिदंबरम ने यह भी कहा कि चुनाव आयोग पहले इस पर स्थिति स्पष्ट करे, अन्यथा यह लोकतंत्र के लिए एक खतरनाक परंपरा बन सकती है।

चुनाव आयोग की सफाई
चुनाव आयोग ने इन आरोपों को भ्रामक और तथ्यहीन बताया है। आयोग ने स्पष्ट किया कि, “तमिलनाडु में SIR प्रक्रिया लागू ही नहीं हुई है। यह पूरी तरह बिहार तक सीमित है। तमिलनाडु की मतदाता सूची में 6.5 लाख नए नाम जुड़ने का दावा झूठ पर आधारित है।” चुनाव आयोग ने यह भी कहा कि कुछ राजनीतिक दलों द्वारा SIR को तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत किया जा रहा है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है।

पश्चिम बंगाल में ममता की चेतावनी
इस बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी SIR को लेकर गंभीर आशंका जताई है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह प्रक्रिया विपक्षी दलों के समर्थक वोटरों , खासकर मुस्लिम और दलित समुदाय को वोटर लिस्ट से हटाने की रणनीति हो सकती है। ममता बनर्जी ने स्पष्ट कहा कि, “अगर योग्य मतदाताओं के नाम हटाए गए, तो सड़क पर आंदोलन होगा।” उन्होंने TMC सांसदों की बैठक बुलाकर निर्देश दिया कि वे संसद में इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाएं।