न्यूज स्कैन ब्यूरो। जमुई
जमुई का प्रसिद्ध पतनेश्वर मंदिर सावन के अंतिम सोमवार पर श्रद्धालुओं की भीड़ से गुलजार हो उठा। तड़के सुबह 3 बजे से ही श्रद्धालु मंदिर प्रांगण में पहुंचने लगे और ‘हर हर महादेव’ के जयकारों से पूरा क्षेत्र गूंज उठा। जमुई के प्राचीन शिव मंदिरों में शामिल पतनेश्वर मंदिर का निर्माण 1711 ईस्वी में हुआ था। यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से, बल्कि अपनी प्राकृतिक सुंदरता और किऊल नदी के किनारे स्थित होने के कारण भी खास पहचान रखता है। मान्यता है कि यहां स्थित शिवलिंग स्वयंभू है और इसकी पूजा से असाध्य रोग भी दूर हो जाते हैं। यही कारण है कि सावन महीने में यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। किउल नदी के तट पर पतनेश्वर पहाड़ है। लगभग 100 फीट पहाड़ की चोटी पर बाबा पतनेश्वर महादेव विराजमान है। यहां श्रद्धालु 104 सीढ़ियां चढ़कर मंदिर परिसर तक पहुंचते हैं। यहां माता पार्वती सहित कई देवी देवताओ के मंदिर हैं।
मान्यता है कि जो लोग यहां किउल नदी में स्नान करने के बाद भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करते हैं। उनकी मुरादें पूरी होती है। पतनेश्वरनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना करने वाले कुष्ठ रोग के मरीज भी ठीक हो जाते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि ओडिसा के एक कुष्ठ रोगी को भगवान बैजनाथ ने स्वपन दिया था कि तुम पतनेश्वर धाम जाकर मेरी सेवा करो तुम्हें इस बीमारी से मुक्ति मिल जायेगी। वे लोग एक माह तक यहां रहकर बाबा की सेवा करते रहे। अंत में कुष्ठ रोग से उन्हें मुक्ति मिल गई। श्रद्धालु बेलपत्र, धतूरा, दूध और गंगाजल अर्पित कर भोलेनाथ की पूजा कर रहे हैं। मंदिर परिसर में प्रशासन द्वारा विशेष प्रबंध किए गए हैं। सुरक्षा के लिए पुलिस बल की तैनाती की गई है और चिकित्सा टीम भी तैनात है।
पतनेश्वर धाम मंदिर के पुजारी नीरज पांडेय इन बताया कि सावन का यह अंतिम सोमवार सबसे अधिक पावन माना जाता है और जो भक्त इस दिन सच्चे मन से पूजा करता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है।