- मर चुके वोटर से भी कराना है वोट? भागलपुर में लोकतंत्र का सीधा मज़ाक!
- 5 साल पहले मर चुके मणिक यादव आज भी वोटर! भागलपुर में वोटर लिस्ट घोटाले का पर्दाफाश
न्यूज स्कैन रिपाेर्टर, भागलपुर
क्या मरे हुए लोग भी अब चुनाव में वोट डालेंगे? क्या चुनाव आयोग की नज़रें इतनी सुस्त हैं कि मृतक को भी ज़िंदा मानकर वोटर लिस्ट में रखती हैं? भागलपुर विधानसभा क्षेत्र-156 से आई एक शर्मनाक हकीकत ने पूरे सिस्टम को कटघरे में खड़ा कर दिया है।
भागलपुर जिले के बरारी क्षेत्र निवासी मणिक यादव, जिनकी मृत्यु 15 जुलाई 2020 को हो चुकी थी, उनका नाम 1 अगस्त 2025 को प्रकाशित नई मतदाता सूची में अब भी दर्ज है। यह खुलासा उनके पुत्र द्वारा किए गए दस्तावेज़ीय प्रमाणों से हुआ है।
मृतक मणिक यादव का नाम वोटर लिस्ट में EPIC नंबर BPY0743708 के साथ दर्ज है और उनका मतदान केंद्र राय हरि मोहन ठाकुर उच्च विद्यालय, बरारी, भाग संख्या 60, मतदाता क्रमांक 213 है।
लेकिन इसके विपरीत, भागलपुर नगर निगम द्वारा जारी मृत्यु प्रमाण पत्र स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि मणिक यादव की मृत्यु 15 जुलाई 2020 को हो चुकी थी और यह प्रमाण पत्र 7 दिसंबर 2021 को जारी किया गया।
सबूत खुद बोलते हैं
- मृत्यु प्रमाण पत्र
म्युनिसिपल कॉरपोरेशन भागलपुर द्वारा जारी, पंजीकरण संख्या D-2021-10-90078-002223 मृत्यु तिथि: 15/07/2020 और जारी तिथि: 07/12/2021

- वोटर लिस्ट विवरण (2025)
नाम: मणिक यादव, उम्र: 55, EPIC No: BPY0743708 मतदान केंद्र: RAY HARI MOHAN THAKUR UCHCH VIDYALAYA, BARARI भाग संख्या: 60 | मतदाता क्रमांक: 213

सीधा सवाल : चुनाव आयोग क्यों सो रहा है?
क्या यह सिर्फ एक नाम की गलती है, या सिस्टम में ऐसे हजारों “भूत वोटर” मौजूद हैं? क्या मृतकों के नाम पर फर्जी वोटिंग कराना आसान रास्ता बन गया है? क्या कोई बीएलओ या ईआरओ इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार नहीं है?
इस लोकतांत्रिक धोखे का जिम्मेदार कौन?
जिस देश में जीते-जागते लोगों को वोटर लिस्ट से बाहर कर दिया जाता है, वहां मरे हुए लोगों को “वोटर” बनाए रखना घोर आपराधिक लापरवाही है। यह केवल एक तकनीकी गलती नहीं, यह लोकतंत्र के खिलाफ एक गुनाह है। इस तरह की लिस्ट से चुनाव की पवित्रता, निष्पक्षता और पारदर्शिता पर गहरा धब्बा लगता है।
परिवार की सीधी मांग
मणिक यादव का नाम तत्काल प्रभाव से हटाया जाए। जिम्मेदार बीएलओ और निर्वाचन पदाधिकारी पर कार्रवाई हो। पूरे भागलपुर विधानसभा क्षेत्र की वोटर लिस्ट की जांच हो। मृतकों के नाम पर वोटिंग की संभावनाओं को खत्म करने के लिए तकनीकी निगरानी लागू की जाए।
जनता को चेतावनी
यह घटना सभी मतदाताओं के लिए एक चेतावनी है कि वे अपने परिजनों की मृत्यु के बाद निर्वाचन सूची से नाम हटवाने की प्रक्रिया को नजरअंदाज न करें। वरना फर्जीवाड़ा करने वाले लोग ऐसे नामों से फर्जी वोटिंग कर सकते हैं, जिससे चुनाव की निष्पक्षता खतरे में पड़ सकती है।