- खून की छींटें बह गईं बारिश में, सबूत धो डाले सिस्टम ने!
न्यूज स्कैन रिपोर्टर, नवगछिया
बिहार की कानून व्यवस्था और वैज्ञानिक जांच प्रणाली एक बार फिर कटघरे में है। गोपालपुर थाना क्षेत्र के तीनटंगा बालू टोला में 26 वर्षीय मोनी देवी की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी जाती है, और राज्य की तथाकथित चुस्त व्यवस्था पूरे 32 घंटे बाद हरकत में आती है! सवाल यह नहीं कि हत्या क्यों हुई। सवाल यह है कि जब एक महिला को सरेआम गोली मार दी गई, तब भी सिस्टम सोता रहा।
32 घंटे बाद जागा ‘FSL’
एफएसएल (Forensic Science Lab) जैसी गंभीर एजेंसी को सूचना तो गुरुवार को ही दे दी गई थी, लेकिन टीम मौके पर शुक्रवार को दोपहर 3:30 बजे पहुंचती है। तब तक तेज बारिश हो चुकी थी। खून के निशान बह चुके थे। मिट्टी गीली हो चुकी थी। टीम आई, 5 मिनट में महज़ दो सैंपल उठाए और वापस चली गई।
क्या इसे ही फॉरेंसिक जांच कहते हैं?
क्या हत्या के सबूत महज़ मिट्टी और खून के छींटे भर होते हैं? पोस्टमार्टम पहले, फॉरेंसिक बाद में — क्या यही है ‘प्रक्रिया’? गुरुवार को पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया। रिपोर्ट तैयार हो गई। शव परिवार को सौंप दिया गया। लेकिन FSL टीम? वो आई तब, जब मौके पर ना शव था, ना ताजा सबूत, और ना ही कोई तैयारी।
ग्रामीणों का फूटा गुस्सा
स्थानीय लोगों ने एफएसएल टीम और पुलिस की कार्यशैली पर सीधा आरोप लगाया। लोगों का कहना है कि— “यदि यही लापरवाही किसी वीआईपी के मामले में होती, तो अब तक पूरी टीम सस्पेंड हो चुकी होती। लेकिन यहां गरीब की बेटी मारी गई है, तो सिस्टम आराम से सुस्ता रहा है!”
घटनाक्रम की टाइमलाइन —सिस्टम की पोल खोलती है
गुरुवार (हत्या का दिन):
सुबह 8:00 बजे: मोनी देवी को गोली मारी गई
9:00 बजे: गोपालपुर थाना पुलिस पहुंची
11:15 बजे: शव पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया
12:40 बजे: SDPO ने घटनास्थल का निरीक्षण किया
शाम 5:30 बजे: SP प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोले “कार्रवाई हो रही है”
शुक्रवार (FSL की नींद खुली):
3:30 बजे: FSL टीम पहुंची
3:50 बजे: दो नमूने उठाए
3:55 बजे: टीम चली गई
क्या मोनी देवी को न्याय मिलेगा?
इस पूरे मामले ने एक बार फिर यह साफ कर दिया है कि बिहार की जांच एजेंसियों को जागने में वक्त लगता है, लेकिन अपराधियों को भागने में नहीं। न्याय के नाम पर सिर्फ प्रेस कांफ्रेंस और झूठे बयान मिलते हैं। मोनी देवी की हत्या पर अगर अब भी ठोस, निष्पक्ष और समयबद्ध जांच नहीं हुई, तो यह मामला भी बाकी फाइलों की तरह बंद कर दिया जाएगा।
जनता मांग कर रही है:
एफएसएल की देरी की जांच हो
जांच में लापरवाही बरतने वाले अफसरों पर कार्रवाई हो
दोबारा घटनास्थल का विस्तृत निरीक्षण हो