राजद अब सहनी को एक विश्वसनीय सहयोगी के रूप में नहीं देख रहा, सहनी ने भी अपने लिए तमाम विकल्प खुले रखे हैं
न्यूज़ स्कैन ब्यूरो, पटना
बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन के भीतर सीट शेयरिंग को लेकर खींचतान तेज़ हो गई है। बुधवार को पटना में इंडिया गठबंधन की बैठक हुई, लेकिन उससे पहले ही वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी ने 60 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी। सहनी के इस एकतरफा एलान पर राजद ने कड़ा रुख अपनाया है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मंगनी लाल मंडल ने साफ कहा कि “गठबंधन में सीटों को लेकर अब तक कोई औपचारिक बातचीत नहीं हुई है। सहनी के दावे पर अभी टिप्पणी करना जल्दबाज़ी होगी।”
यह बयान न सिर्फ सहनी के लिए सख्त संकेत है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि राजद अब उन्हें वह अहमियत नहीं देना चाहता जो पिछले लोकसभा चुनाव के समय दी गई थी। गौरतलब है कि 2020 विधानसभा चुनाव के बाद सहनी ने तेजस्वी यादव पर पीठ में छुरा घोंपने का आरोप लगाया था और इसके बाद एनडीए का दामन थाम लिया था।
विकल्प खुले रखना चाहते हैं सहनी
अब जबकि मुकेश सहनी फिर से महागठबंधन में शामिल हैं, उनकी यह 60 सीटों की मांग न केवल दबाव बनाने की कोशिश मानी जा रही है, बल्कि यह भी संकेत देती है कि वह एनडीए के साथ फिर से बातचीत की जमीन भी बना रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, एनडीए की तरफ से भी उन्हें संकेत दिया गया है कि अगर वे लौटना चाहें तो “दरवाज़े खुले हैं”। विश्लेषकों की मानें तो मुकेश सहनी की रणनीति दोहरा लाभ उठाने की है। एक ओर वे महागठबंधन के भीतर अपने लिए अधिक सीटें सुनिश्चित करना चाहते हैं, वहीं दूसरी ओर एनडीए की ओर से संभावित ऑफर उन्हें राजनीतिक मोलभाव के लिए मजबूत बनाता है। लेकिन यह भी साफ है कि राजद अब सहनी को ‘विश्वसनीय सहयोगी’ के रूप में नहीं देख रहा। हाल की प्रतिक्रियाएं यही इशारा करती हैं कि तेजस्वी यादव की टीम अब गठबंधन में ठोस और भरोसेमंद दलों के साथ ही आगे बढ़ना चाहती है।