रविंद्र कुमार शर्मा, भागलपुर
भागलपुर, जिसे कागज़ों पर स्मार्ट सिटी घोषित किया गया है, हकीकत में बदहाल हालात से कराह रहा है। शहर के वार्ड नंबर 38 की हालत ऐसी है कि ‘स्मार्ट’ शब्द खुद शर्म से पानी-पानी हो जाए। मंगलवार दोपहर 1 बजे लोहापट्टी चौक का नज़ारा देख ऐसा लगा मानो नगर निगम ने इस इलाके को ‘स्मार्ट’ नहीं, सड़ांध का सैंपल ज़ोन बना दिया हो।
कीचड़, कूड़ा और सड़ी बदबू से लोग नाक पर रुमाल लगाए चलने को मजबूर हैं। बरसात के मौसम में यह चौक किसी ‘मिनी झील’ से कम नहीं होता — फर्क बस इतना है कि इस झील में कचरा, दुर्गंध और गड्ढे मुफ्त में मिलते हैं।
स्थानीय निवासी ने ज़मीन से उठती बदबू और निगम की नाकामी पर तंज कसते हुए कहा,”स्मार्ट सिटी के नाम पर लूट खसोट हो रही है। यहां विकास नहीं, सड़ांध और अव्यवस्था की बदबू आ रही है। नगर निगम अब ‘नरक निगम’ ही कहलाने लायक है।”
शहर में आए दिन सफाई की दुर्गति से दुर्घटनाएं भी बढ़ रही हैं। ना नालियों की सफाई, ना कूड़े का उठाव, बस वादे, घोषणाएं और फोटो सेशन।
सवाल उठता है
- क्या भागलपुर नगर निगम अब सिर्फ फाइलों में ही स्मार्ट रहेगा?
- क्या जनता को गंदगी, बदबू और कीचड़ के बीच ही जीने की आदत डाल लेनी चाहिए?
अब देखना ये है कि प्रशासन इस “नरक” से शहर को निकालने की जिम्मेदारी कब लेता है… या फिर जनता अगली बार वोट की सफाई से जवाब देगी!