गांव की बेटी बनी देश की शान: यशश्री ने UGC-NET में रचा इतिहास

  • सामान्य कोटि में 98.4% अंकों के साथ चयनित हुईं

न्यूज स्कैन ब्यूरो, सुपौल

बिहार के सुपौल जिले के एक छोटे से गांव वीणा बभनगामा से निकली यशश्री ने अपनी प्रतिभा, तपस्या और संस्कारों के दम पर राष्ट्रीय स्तर पर परचम लहराया है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) द्वारा आयोजित जुलाई 2025 की राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (NET) में संस्कृत विषय से सामान्य कोटि में 98.4% अंक प्राप्त कर चयनित होकर कीर्तिमान स्थापित किया। यह सफलता केवल यशश्री की नहीं, बल्कि हर उस बेटी की है जो सीमित संसाधनों के बावजूद बड़े सपने देखती है।


शिक्षा का सफर: गांव से विश्वविद्यालय तक

यशश्री के शैक्षणिक जीवन की शुरुआत सुपौल के ग्रामीण परिवेश में हुई। प्राथमिक शिक्षा गांव में ही प्राप्त की और फिर कक्षा 10वीं राजकीय बबूजन विशेश्वर बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय, सुपौल, कक्षा 12वीं: सुपौल उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, सुपौल, स्नातक और स्नातकोत्तर संस्कृत विषय में पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ से प्रथम श्रेणी में की।स्नातकोत्तर पूर्ण करने के एक ही वर्ष के भीतर उन्होंने UGC-NET की परीक्षा में वो मुकाम हासिल किया, जो देशभर के लाखों अभ्यर्थी वर्षों की तैयारी के बाद भी नहीं प्राप्त कर पाते।


पारिवारिक संस्कार और साधना से मिला मार्ग

यशश्री के पिता चंद्रशेखर एक शिक्षक हैं, जबकि माता पूनम देवी एक समाजसेवी हैं। घर में बचपन से ही शिक्षा, योग और संस्कार का वातावरण था। यही कारण है कि यशश्री को स्कूल की तुलना में घर का वातावरण अधिक प्रेरणादायक लगता था।
वह अपने माता-पिता के साथ बच्चों को योग सिखाने, शिक्षा और चरित्र निर्माण जैसे कार्यों में भी भाग लेती रहीं।

“संस्कृत मेरे लिए केवल एक विषय नहीं, आत्मा की आवाज़ है। मैं इसी के माध्यम से समाज और राष्ट्र के लिए काम करना चाहती हूं।”
— यशश्री


उद्देश्य: भारतीय ज्ञान परंपरा का संरक्षण और संवर्धन

यशश्री अब संस्कृत विषय में असिस्टेंट प्रोफेसर बनने की तैयारी में हैं। उनका सपना है कि वे भारतीय दर्शन, योग, वेद और उपनिषद जैसे शास्त्रों के माध्यम से आने वाली पीढ़ी को न केवल शिक्षित करें, बल्कि उन्हें मूल्यों से जोड़ें।

उनका मानना है कि हम जितना अपने मूल से जुड़े रहेंगे, उतना ही आत्मविश्वास और स्थायित्व से भरे रहेंगे। संस्कृत भाषा हमारे ज्ञान का मूल स्रोत है – इसे जीवंत और प्रासंगिक बनाए रखना हमारा कर्तव्य है।


जिले और राज्य में बधाइयों का तांता

यशश्री की इस अभूतपूर्व सफलता पर सुपौल जिले में हर्ष का माहौल है। शिक्षा जगत, सामाजिक संस्थाओं और आम जनमानस ने उन्हें बधाई दी है। कई लोगों ने कहा कि यशश्री उन बेटियों के लिए प्रेरणा हैं, जो गांवों से निकलकर राष्ट्रीय पहचान बनाना चाहती हैं।